इतना भी बुरा नहीं हूँ साहेब! कोरोना
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इतना भी बुरा नहीं हूँ साहेब! कोरोना

हमारे समाज की अजीब विडम्बना है , इस कोरोना की वजह से ही सही ,ये सिद्ध तो हो गया है कि लोग मुसीबत के वक़्त ही अपनों को याद करते है | सोच रहा हु , कोरोना को कोशुं या शुक्रिया अदा करू | फिर काफी सोचने के बाद सोचा इसका शुक्रिया अदा ही कर लू | हा, शुक्रिया अदा | क्यों न करू, जहा आज की इस भाग दौड़ भरी जीवन शैली में लोग अपने परिवार के प्रति समय की तलाश करते फिर रहे हैं , इसी की बदौलात परिवार के साथ समय व्यतीत करते नजर आ रहे हैं | आज आलम ये है कि सबके घरों में लोग खुश नजर आ रहे हैं |

ख़ुशी उन माँ बाप से पूछिये न साहेब, जो बरसो तरस जाते हैं अपनों के चेहरे देखने की खातिर | ख़ुशी उस पत्नी से पूछिये न साहेब , जो कई दिनों तक तरस जाती है अपने पति के साथ कुछ तनावरहित समय व्यतीत करने को | खुसी उन बच्चों से पूछिये न, जो पापा के कंधो पर चढ़ने को तरस जाते हैं |

ऐसा नहीं है कि लोग पहले समय नहीं देते थे, परन्तु कार्यालय के अधिक कामों के बोझ की वजह से घरो में उससे कही ज्यादा व्यस्त नजर आते थे | थोडा सा अगर वक़्त बच भी गया तो आज का सबसे बढ़िया मित्र मोबाइल को भी तो समय देना जरुरी हो जाता है | अगर भूल वश आप इसको समय न दे पाए तो बेचारा नाराज़ होकर तरह तरह की आवाजें दे कर आपको बुलावा भेजता है…

एक सवाल जो अक्सर पूछते हैं घर के लोग, क्या तुम इतने व्यस्त हो गए हो कि घर के लिए समय नहीं निकाल पाते? तो पता है जवाब क्या आता है, अच्छी जीवन और भविष्य के लिए ही तो कर रहा हूँ| वाह! आपको नहीं लगता ये कुछ अजीब सा उत्तर है वैसे धन का क्या फायदा जो अपनों को दर्द दे के कमाया गया हो , क्या फायदा उस अछे भविष्य का जो वर्त्तमान की कुर्बानी की बदौलात खड़ा हुआ हो|

आज पूरी दुनिया आज हाथ या गले न मिल कर नमस्कार कर रही है एक दुसरे को | बड़े गर्व से कह रहे हैं, देखो दुनिया हमारी संस्कृति अपना रही है| आपको ये कुछ हास्यप्रद नहीं लगता, आप सबको बता रहे है कि हमारी संस्कृति का विस्तार हो रहा है और वाप कितना अपना रहे हैं जनाब अपनी संस्कृति को? आपको आज भी कुर्ता पैजामा से ज़्यादा जीन्स पसंद है| आप बिना टी शर्ट के बाहर नहीं जायेंगे क्योंकि आपको नुमाइश करनी है.

अंत में अपने शासन व्यवस्था और उधोग धंधो को भी शुक्रिया कहना चाहिए, कोरोना के ही कारण सही कुछ तो समय दिए अपनों के साथ व्यतीत करने के लिए | हांजी! सही सुने पार्क, सिनेमा हॉल, क्रिकेट, स्कूल, महाविद्यालय सब चीजें तो बंद हो चुकी हैं| फिर अंत में आपको घर जाने के सीवा कोई रास्ता भी नहीं बचता| तो जाइये दुःख में ही सही अपनों के साथ समय बिताइए|

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