मेरे प्यारे साम्प्रदायिक, राजनैतिक, मजहबी व मुनाफाखोर दोस्तों!
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मेरे प्यारे साम्प्रदायिक, राजनैतिक, मजहबी व मुनाफाखोर दोस्तों!

Deepak Dobriyal

विश्वस्तरीय महामारी कोरोना (Coronavirus) की चपेट में पूरी दुनिया आ गई है। हर कोई एक दूसरे को आगाह कर रहा है, ताकि कोई काल के गाल में न समाए। बाॅलीवुड एक्टर्स भी अपने-अपने अंदाज में फैंस को अवेयर कर रहे हैं। अब अभिनेता दीपक डोबरियाल (Deepak Dobriyal) ने लोगों से अलर्ट रहने की अपील की है।

अपने संदेश में बाॅलीवुड अभिनेता दीपक डोबरियाल (Deepak Dobriyal) ने कहा है कि मुझे आपसे बहुत हमदर्दी है, क्योंकि आपके कम्फर्ट जोन में इस कोरोना की वजह से खलल पड़ा है। पर साथ ही साथ आपके इस जज्बे को सलाम भी करता हूँ कि आप इस वैश्विक आपदा के बीच भी जी जान से लगे हुए हो। आपकी प्रजाति और इम्यूनिटी बेमिसाल है। सलाम सलाम सलाम।
हालंकि अभी हम बेचारों पर तरस खाइए,, हम डरे हुए हैं। कृपया इस कोरोना का कोई उपचार निकालिएगा। हम जिंदगी से हाथ ना धो दे इसलिए रोज 50 बार हाथ धो रहे हैं। लोंग, इलाएची, काली मिर्च,तेज पत्ता, डाल चीनी, सौंफ,लाल मिर्च,हल्दी,तुलसी अदरक, लहसुन, सबका घोल बनाकर पी रहे हैं, हमारा पूरा जिस्म मसाला मंडी हो चुका है, हमने आठवाले साहब के ऐतिहासिक मंत्र गो कोरोना गो, का भी अनुसरण किया, हंस के, गुस्से में,रो के, पर उस से भी फर्क नहीं पड़ा।
दीपक डोबरियाल ने कहा कि हम चाहते हैं कि टीवी चैनल्स की टीआरपी आसमान की बुलंदियों को छुए इसलिए दिन रात चैनल्स के सामने ही बैठे हैं। कृपया उन्हें कहें अब तो कुछ सच्ची और जानदार रिपोर्टिंग कर दें और सच में हम कहीं नहीं जा रहे, जो वो रोज कहते हैं कहीं मत जाइएगा हम हाजिर होते हैं ब्रेक के बाद। अब कहीं जा भी नहीं सकते, हमारे घरों में पतियों ने अपनी पत्नियों से बहुत अच्छे से बना कर भी रखी है।

आप के कुछ सहयोगी गो मूत्र की सलाह दे रहे हैं, मुझे उनके भरोसे पर जरा भी शंका नहीं है। उन्होंने कहा है तो सच ही होगा,, पर ये कुछ पढ़े लिखे नास्तिक टाइप के लोग मानने को ही तैय्यार नहीं हैं। मुझे आपके लोगों की विलक्षण प्रतिभा पर तनिक भी शंका नहीं है, पर मैं थोड़ी डरपोक प्रजाति से हूं, तो कृपया उन्हें कहें एक बार कर के दिखा दीजिए। फिर मैं गौ, ऊँट, बकरी जिसका वो कहेंगे उसका मूत्र पीने को तैयार हुँ। पर पहले खुद कर दें, अब देखिए इतनी अफवाहें उड़ रही हैं तो थोड़ा प्रैक्टिकल कर दें तो मुझे उन नास्तिकों का मुँह बंद करने में बड़ी मदद मिलेगी, मैं चाहता हूँ मैं उन्हें ब्लडी इग्नोरैंट पीपल कह कर सम्बोधित करूँ।

आपके कुछ लोग कह रहे है ये कोरोना शाहीन बाग के खिलाफ साजिश है। मैं वो भी मानने को तैय्यार हूं। पर कुछ जाहिल लोग कह रहे हैं शाहीन बाग के लिए इतना ट्रैवल क्यों कराएगा कोई कोरोना को। चाइना इटली ईरान अपने लोगों को क्यों मारेगा, खैर जितने मुँह उतनी बातें।अब आपसे क्या छुपा है।
दीपक डोबरियाल ने आगे लिखा है कि महोदय, हमारा मुल्क नौकर चाकर वाला मुल्क है। मतलब रोजगार के हिसाब से, लेकिन देखिए इस कोरोना के डर की वजह से हमने उन सबको काम से छुट्टी दे दी है। पता नहीं किस किस जगह से आते हैं, कितने घरों में काम करते हैं। साफ सफायी रखते भी हैं कि नहीं,, अभी तक तो हमने जैसे तैसे ऐडजस्ट कर लिया पर अब और नहीं।
उनमें से कुछ इमोशनल ब्लैक्मेल भी कर रहे हैं कि अब वो गाँव में कैसे गुजारा करेंगे, पर हमने एक महीने की पैड लीव दे कर उन्हें टरका दिया है। कौन रिस्क ले। उनको अपने गाँव में जरूरत ही कितनी होती है?15-20 हजार बहुत है उनके ३ महीने के लिए।नौकरों का क्या है बाद में भी मिल जाएँगे। पर कैसे???कब??वो बाद में देख लेंगे। महोदय, ये बच्चों ने बड़ी टेन्शन दे रखी है, जब देखो खेलने के बिना उनका गुजारा ही नहीं चलता,जब देखो कुछ भी छू लेते हैं,और मुँह में उँगलियाँ डाल देते हैं। पर हमने उनसे हर बार हाथ धुलवाने की कसम खायी है। पर ये बुजुर्ग लोग बच्चों से भी दो कदम बड़ कर हैं,, जब हम बच्चे थे तो ये हमें कुछ भी गंदी चीज चूने से माना करते थे,और दुनिया में इतने कोरोना के मामले सामने आए हैं तो उसमें सबसे ज्यादा मामले 60 साल से ऊपर के लोगों में है।

इन्होंने सब से ज्यादा डर फैलाया हुआ है पूरी दुनिया में, इनके फेफड़े कमजोर हैं तो ये एक्सर्सायज क्यों नहीं करते? कुर्सी से उठना हो तो कुर्सी के हत्थे का सहारा लिए बिना क्यों नहीं उठते, ये स्टाइल मारने के चक्कर में एर्पोर्ट में किसी ना किसी चीज पर टिके रहते हैं, मेरी समझ में एक बात नहीं आती ये हर चीज को क्यों छूते हैं? सबसे ज्यादा खांसी इन्हें इन्हीं वजहों से होती है। इन्हें इतनी बार समझाया कि आप तो समझदार हैं, आप अपना ध्यान नहीं रखेंगे तो हमारा ख्साल कौन रखेगा। और हजार शंकाएँ हैं कृपया इन सबके जवाब का तलबगार हूं। आप सबका इकलौता दीपक डोबरियाल।

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