हैप्पी बर्थडे “गॉडमदर”! शबाना आजमी के वो किरदार जो कभी नहीं भुला पाएंगे दर्शक
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हैप्पी बर्थडे “गॉडमदर”! शबाना आजमी के वो किरदार जो कभी नहीं भुला पाएंगे दर्शक

बॉलीवुड इंडस्ट्री में 100 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम और लगभग 4 दशकों तक हिंदी सिनेमा पर राज किया साथ ही कमर्शियल और आर्ट दोनों विधाओं में सम्पूर्ण जिनकी एक्टिंग और खूबसूरती के लाखों दीवाने हैं। जी हाँ! हम बात कर रहे हैं अपने समय की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री शबाना कैफी आज़मी की, जो आज अपना 69 वां जन्मदिन मना रही हैं।

नाजिया अहमद। एक अभिनेत्री होने के साथ-साथ अभिनेत्री शबाना आजमी सामाजिक कार्यों में भी अपना सामान योगदान देती हुई नज़र आ रही हैं। तो आइए आज उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं कुछ खास बातें।

अभिनेत्री शबाना आज़मी का जन्म 18 सितंबर 1950 को हैदराबाद में हुआ। शबाना के पिता मशहूर कवि कैफ़ी आज़मी थे, जिनकी शायरी आज भी एक मिसाल है और उनकी माँ शौकत आज़मी उस समय की बेहतरीन थिएटर कलाकारों में से एक थी।

बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना ने मुंबई के क्वीन मैरी कॉलेज से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, जिसके बाद उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ पर उन्होंने मनोविज्ञान में स्नातक करने के बाद उन्होंने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII), पुणे से अभिनय में कोर्स किया। प्रख्यात कलाकार, तन्वी आज़मी की भाभी होने के साथ शबाना आज़मी भारतीय फिल्म अभिनेत्री तब्बू की आंटी हैं, और उनकी बहन है फराह नाज़।

शबाना आजमी ने मशहूर लेखक जावेद अख्तर से शादी की। एक जीवनसाथी के रूप में पति जावेद अख्तर के सक्रिय सहयोग ने शबाना आजमी के हौसले को बढ़ाया और वे फिल्मों में अभिनय के रंग भरने के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक मंचों पर देश और समाज से जुड़ी अपनी चिंताएं अभिव्यक्त करती रहती है।

“आर्ट फिल्मों से भला किसका कॅरियर चलता है, लगता है आपकी पहली बॉलीवुड फिल्म आखिरी साबित होगी.”

कुछ ऐसी ही बातें अभिनेत्री शबाना आजमी को सुनने को मिली थी, जब उन्होंने श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’(1974) फिल्म में काम करने की हामी भरी थी, लेकिन अंकुर फिल्म हिट साबित हुई और शबाना की इस पहली ही फिल्म के लाखों लोग दीवाने हो गए थे.शबाना के दमदार अभिनय का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म अंकुर (1974), के बाद अर्थ (1983), खंडहर (1984), पार (1984) और गॉडमदर (1999) के लिए शबाना आज़मी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए 5 बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था.

शबाना आजमी को 4 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया है। उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया है। स्वामी (1978), अर्थ (1983), (1985) में ‘भावना’ और (1999) में फिल्म ‘गॉडमदर’ के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। साल (1988) में अभिनेत्री शबाना आजमी को पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।

शबाना की कुछ बेहतरीन फिल्म

अंकुर (1974)

डायरेक्टर श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ से साल 1974 में डेब्यू किया। यह फिल्म हैदराबाद की एक सच्ची लव स्टोरी पर आधारित थी। इस फिल्म में शबाना आजमी ने नौकरानी का किरदार निभाया था जिसे कॉलेज के एक लड़के से प्यार हो जाता है।

स्पर्श (1980)

नेत्रहीन टीचर और प्रिंसिपल के बीच का प्यार जो जिंदगी की सच्चाईयों को समेटे हुए कई भावनाओं से गुजरता है, लेकिन एक-दूसरे प्रति समर्पण कम नहीं होता. फिल्म में शबाना आजमी के साथ नसरूद्दीन शाह ने बेहतरीन भूमिका निभाई थी।

मंडी (1983)

फिल्म मंडी शबाना के लिए टर्निग प्वाइंट साबित हुई थी. रेड लाइट एरिया की कई जिंदगियों को दिखाती है. फिल्म में शबाना ने रूकमणि बाई का किरदार निभाया था. बाहर से कितनी ही सख्त क्यों ना दिखे लेकिन अंदर से उनका दिल मोम की जैसा था, इस फिल्म में शबाना के किरदार हैदराबादी स्टाइल को लोगो ने बहुत पसंद किया था।

नीरजा (2016)

नीरजा साहसी नीरजा भनोट की कहानी है, जिन्होंने 1986 में पैन एम उड़ान 73 पर 359 यात्रियों की जान की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। इस उड़ान को एक आतंकवादी संगठन ने अपहरण कर लिया था। इस फिल्म में इन्होनें (सोनम कपूर) नीरजा की माँ का किरदार निभाया था।

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