Happy Birthday : उस वक्त छोटा काम भी मिलता, तो हमलोग मटन पार्टी करते थे: सौरभ शुक्ला
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Happy Birthday : उस वक्त छोटा काम भी मिलता, तो हमलोग मटन पार्टी करते थे: सौरभ शुक्ला

Saurabh Shukla-Filmynism

बाॅलीवुड के कल्लू मामा (Kallu Mama) आज सबकी जुबान पर हैं। फिल्म देखने वाला ऐसा कोई शख्स नहीं होगा, जो सौरभ शुक्ला (Saurabh Shukla) को नहीं जानता हो। जी हां, 1998 में राम गोपाल वर्मा (Ram Gopal Verma) की फिल्म ‘सत्या’ (Satya) में गैंगस्टर कल्लू मामा किरदार में दिखे सौरभ शुक्ला ‘सत्या’ की सफलता के बाद कई सालों तक खाली बैठे रहे। इस दौरान उनकी तारीफ तो हर कोई करता था, पर काम नहीं मिलता था।

अभिनेता सौरभ शुक्ला (Saurabh Shukla) का जन्म पांच मार्च 1973 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। सौरभ के पिता शत्रुघ्न शुक्ला आगरा घराने के मशहूर गायक और मां जोगमाया शुक्ला पहली तबला वादक थीं। उनदोनों को फिल्में देखने का बड़ा शौक था। सौरभ शुक्ला कहते हैं कि जब वे दो साल के थे, तब उनका परिवार दिल्ली आ गया था। इस दौरान सौरभ शुक्ला ने अपनी पढ़ाई दिल्ली से ही की।

1984 में थियेटर से अपनी एक्टिंग की शुरुआत करने वाले सौरभ शुक्ला (Saurabh Shukla) को सिनेमा में पहला ब्रेक शेखर कपूर ने फिल्म ‘बैडिंट क्वीन’ (Bandit Queen) में दिया। इसके साथ ही वह टीवी शोज में भी नजर आए। 1994 में दूरदर्शन के क्राइम ड्रामा शो तहकीकात में उन्होंने विजय आनंद के साथ काम किया, जिस कारण वे टीवी में खूब फेमस रहे। वे टीवी सीरियल और थियेटर नाटकों में व्यस्त रहे।

1998 में सौरभ शुक्ला को बड़ा ब्रेक राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म सत्या में दिया, जिसमें वह गैंगस्टर कल्लू मामा के रोल से दिखे। इसके बाद बाद सौरभ शुक्ला कल्लू मामा के नाम से मशहूर हो गए। हालांकि सौरभ कहते हैं कि इस फिल्म के बाद भी उनके करियर को बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ। फिल्म सफल रही, हम भी सफल रहे, पर कहीं से भी काम नहीं मिल रहा था। वे कहते हैं कि इस फेज में मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee), तिग्मांशू धूलिया (Tigmanshu Dhulia) और मुझे कोई भी काम मिलता था, तो हमलोग मटन पार्टी किया करते थे।

सौरभ शुक्ला (Saurabh Shukla) का कहना है कि सत्या (Satya) के बाद मुझे वैसा काम नहीं मिल रहा था जैसा मैं चाहता था। इसके लिए मुझे कई सालों तक इंतजार करना पड़ा। लोग मेरे काम की तारीफें तो करते थे लेकिन काम नहीं मिलता था। 10 साल मेरे लिए बहुत मुश्किलों भरे रहे। मेरे करियर की दूसरी पारी फिल्म बर्फी से शुरू हुई। उसके बाद जॉली एलएलबी (Jolly LLB) ने सबकुछ बदल दिया और कई अच्छी फिल्में मिलीं।

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