Woman rocks: अफ्रीका में भारतीय मूल की रीता अब्राहम के जज़्बे को सलाम
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Woman rocks: अफ्रीका में भारतीय मूल की रीता अब्राहम के जज़्बे को सलाम

Rita Abraham

लंदन से मधु चौरसिया की रिपोर्ट।
भारतीय मूल की रीता अब्राहम अफ्रीका में एक जाना पहचाना नाम है। सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। हाल ही में महिला दिवस के अवसर पर उन्हें ब्रिटिश पार्लियामेंट में शी इंस्पायर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पैरिस में रीता ने महिला दिवस पर महिलाओं के उत्थान के लिए अपने व्याख्यान दिए। अब रीता पूरी दुनिया में महिलाओं और बच्चों के विकास के लिए कार्य करना चाहती हैं।

रीता अब्राहम

कहते हैं नेतृत्व की क्षमता इंसान को उसकी स्वयं की जीन से मिला होता है, तभी तो परिस्थितियां या परिवेश उन्हें आगे आने से नहीं रोक सकतीं…कुछ ऐसी ही कहानी है अफ्रीका में रहनेवाली भारतीय मूल की महिला रीता अब्राहम (Rita Abraham) की। उनकी चार पीढ़ी वहां सदियों से रह रही है। उनके पर-दादा अंग्रेजों के जमाने में दक्षिण भारत से एक जहाज में बैठकर पलायन कर अफ्रीका आ गए थे। उनके दादा और पिता ने वहां आम जिंद्गी बिताई, लेकिन रीता के सपने बेहद बड़े थे। अफ्रीका में चुनौतियों की कमी नहीं है पर रीता ने अपनी मेहनत के दम पर एक अलग मुकाम हासिल किया है।

Rita with Family members

एक समय ऐसा भी था जब रंगभेद नीति के तहत उनके परिवार को डरबन हार्बर के प्रवेश द्वार पर उनकी अपनी जमीन से जबरन हटा दिया गया और उनके सामान को एक पुनर्वास शिविर में फेंक दिया गया था। रीता ने करियर के शुरूआती दिनों में प्रशासक की नौकरी की, इंश्योरेंस ब्रोकरेज के रूप में कार्य किया।
उन्होंने 1996 में अपना व्यसाय एस ए इंस्योरेंस ब्रोकर्स से शुरू किया और अब 24 साल उन्हें एक सफल कंपनी के तौर पर पहचान दिलाई। उन्हें 18 वें और 19 वें मिस इंडिया वर्लवाइड पेजेंट के लिए वित्तीय प्रशासक नियुक्त किया या था। आज वह इनर डरबन सिटी में एक इमारत की मालिक हैं, जो मान्यताप्राप्त एक राष्ट्रीय स्मारक है। वो डरबन नगर परिषद द्वारा शहर की वास्तुकला और ऐतिहासिक विरासत की दिशा में योगदान देती हैं। वित्तीय सेवा उद्योग में बहु-अरब रैंड टैक्सी को बीमा प्रदान करती हैं। वो वहां की सबसे बड़ी चिकित्सा सहायता समितियों के स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का संचालन करती हैं।

गोपीओ (GOPIO) इंटरनेशनल की समन्वयक रीता चार साल तक भारतीय मूल की महिला परिषद के रूप में कार्यरत रही हैं। वह टोपोई दक्षिण अफ्रीका की एक कार्यकारी सदस्य और प्रदर्शनकला की संरक्षक भी हैं। दक्षिण अफ्रीका महिला फोर्ट की संस्थापक अध्यक्ष और कैथोलिक महिला लीग की उपाध्यक्ष है और वहां एकता, समझ और शांति को बढ़ावा देती हैं।

रीता अब्राहम

अफ्रीका के गोपीओ (GOPIO) इंटरनेशनल की समन्वयक रीता चार साल तक भारतीय मूल की महिला परिषद के रूप में कार्यरत रही हैं। वह टोपोई दक्षिण अफ्रीका की एक कार्यकारी सदस्य और प्रदर्शनकला की संरक्षक भी हैं। दक्षिण अफ्रीका महिला फोर्ट की संस्थापक अध्यक्ष और कैथोलिक महिला लीग की उपाध्यक्ष है और वहां एकता, समझ और शांति को बढ़ावा देती हैं। वो महिलाओं और बच्चों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाती हैं। मानव तस्करी के खिलाफ आवाज बुलंद करती हैं। उन्हें डरबन के अपने गृह शहर में लोगों का चैंपियन कहा जाता है। वो वहां बेघर, भूख, गरीबी से लाचार लोगों का सहारा भी हैं।

वर्तमान में वो भारतीय डायस्पोरा को मजबूत करने के लिए एक परियोजना के हिस्से के रूप में कई देशों में नेटवर्किंग कर रही हैं। रीता ने अफ्रीका ही नहीं, नेपाल और भारत के आगरा में भी कई बाल संगठन और महिला संगठनों के लिए भी कार्य किया है। महिलाओं और बच्चों के लिए वो किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। उनका मानना है कि महिलाओं को अपने कदमों पर चलने के लिए उन्हें सश्कत बनाने की आवश्यकता है।

Stop Violence Campaign

एक समय ऐसा भी था जब रंगभेद नीति के तहत उनके परिवार को डरबन हार्बर के प्रवेश द्वार पर उनकी अपनी जमीन से जबरन हटा दिया गया और उनके सामान को एक पुनर्वास शिविर में फेंक दिया गया था।

Success Story

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