स्टार की पहली कमाई: फिल्मों में आने से पहले ‘इलू-इलू’ चूरन बेचती थीं संभावना सेठ
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स्टार की पहली कमाई: फिल्मों में आने से पहले ‘इलू-इलू’ चूरन बेचती थीं संभावना सेठ

Sambhavna Seth-Filmynism

पहली कमाई हर किसी के लिए अहम होती है। आज कई ऐसे बड़े स्टार हैं, जिन्होंने कभी पांच सौ महीने कमाए तो कोई तीन हजार में ही खुश हो जाता था। हालांकि सबने मेहनत की और तभी इस मुकाम पर पहुंच चुके हैं। भोजपुरी की अभिनेत्री व मशहूर डांसर संभावना सेठ (Sambhavna Seth) तो काॅलेज के दिनों में इलू-इलू चूरन बेचती थीं, ताकि उनका पाॅकेट खर्चा निकल सके।

अभिनेत्री व डांसर संभावना सेठ (Sambhavna Seth) ने एक बातचीत में कहा था कि जब मैं कॉलेज में पढ़ रही थी, तो मुझे लगा कि अपनी पॉकेट मनी के लिए माता-पिता के सामने हाथ फैलाना सही नहीं है। मैंने कुछ काम करने की ठानी। आपको सुनकर अजीब लगेगा, उन दिनों दिल्ली में एक नया चूरन आया था, इलू इलू। मुझे कहीं से पता चला कि अगर मैं उस चूरन को बेचूं, तो मुझे अच्छा-खासा कमीशन मिल सकता है। दिलचस्प बात ये है कि उस चूरन को बेचकर मैंने महीने के 6-7 हजार कमाए थे। संभावना ने कहा कि एक मजेदार बात बताऊं, चूरन बेचते हुए मैंने वो खाया भी खूब था। फिर जब मैं अभिनय के क्षेत्र में आई, जॉनी लीवर शो में एक छोटा-सा रोल किया था। उस किरदार के मुझे 5 हजार मिले थे, जिसमें से मैंने एक हजार कमीशन दिया था और चार हजार अपने पास रखे थे।

वहीं, सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) ने नाइंटीज में अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की थी और शूटिंग्स और शर्टिंग्स के लिए पहला असाइनमेंट मिला था। उस कैंपेन के अच्छे-खासे पैसे मिले थे, जो हजारों में थे। एग्जैक्ट अमाउंट तो याद नहीं, मगर रकम अच्छी थी। वे कहते हैं कि उन पैसों से अपने पैरंट्स के लिए खूब शॉपिंग की थी।

रोहित रॉय (Rohit Roy) कहते हैं कि तब अहमदाबाद में कॉलेज में पढ़ रहा था और उसी दौरान मुझे जॉडियाक नामक एक शॉप में सेल्समैन बनने का मौका मिला। मैंने वह नौकरी की और उससे मुझे महीने के डेढ़ सौ रुपये मिले थे, जो मैंने अपनी मम्मी को दिए थे। उसके बाद एक क्लब शूज के विज्ञापन के लिए मुझे 5 हजार मिले थे, जो मैंने सेव कर लिए थे और उन्हीं पैसों को लेकर मैं मुंबई आया था स्ट्रगल करने।

श्रुति शर्मा (Shruti Sharma) कहती हैं कि उन दिनों मैं ब्राइट लैंप स्कूल में पढ़ाया करती थी। मुझे मंथली 6000 मिला करते थे, जो एक डीसेंट रकम हुआ करती थी। जब से मैंने पढ़ाना शुरू किया, तभी से मेरे मन में ख्वाहिश थी कि अपनी मां के लिए कुछ करूं। जब मेरे हाथ में मेरी पहली सैलरी आई, तो मैं सीधे सुनार की दुकान पर गई और वहां से मैंने अपनी मम्मी के लिए चार हजार की एक खूबसूरत अंगूठी खरीदी। जब मैं वो अंगूठी अपनी मम्मी को पहना रही थी, तब उनकी आंखों की चमक देखने योग्य थी।

वहीं, आशी सिंह (Ashi Singh) का कहना है कि ये सच है कि जिंदगी में कोई कितना भी कमा ले और दौलतमंद हो जाए, अपनी पहली कमाई वो कभी नहीं भूलता। मुझे भी याद है। मुझे एक शूट के तीन दिन के साढ़े साथ हजार रुपए मिले थे और उन पैसों को पाकर मैं सातवें आसमान पर थी। अपनी पहली कमाई में से आधे मैंने मम्मी को दिए थे। कुछ पैसे भगवान को चढ़ाए थे और कुछ अपने खर्चे के लिए रखे थे। इतना जरूर कह सकती हूं कि उन पैसों से मुझे काफी बरकत हुई थी।

सलीम जैदी (Salim Zaidi) का कहना था कि 12वीं क्लास में मुझे ट्यूशन फीस के रूप में पहली कमाई ढाई सौ रुपए मिली, जो मैंने अपने पापा को दी। पापा ने मेरा हाथ चूम कर वो पैसे मुझे लौटाने चाहे। मगर उन दिनों मोहर्रम चल रहे थे। हमारे घर में मोहर्रम में डिवोशनल प्रोग्राम होता था और उसमें भाग लेने को महिलाएं घर आया करती थीं। उनके ऑटो के पांच रुपए लगते थे। मैंने पापा से कहा कि जो खवातीन हमारे घर मोहर्रम के कार्यक्रम के लिए आती हैं, उनके ऑटो का किराया आप इन पैसों में से दें। ये सुनकर पापा की आंखें नम हो गई थीं!

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