कोई तो दरवाजा होगा जो एक उम्मीद दे सकता था सुशांत को!
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कोई तो दरवाजा होगा जो एक उम्मीद दे सकता था सुशांत को!

Sushant Singh Rajput Suicide Case

लक्ष्मी वत्स, पटना।
बॉलीवुड अपने गैलमर व चैबीसों घंटे मनोरंजन के लिए जाना जाता है, पर इस मनोरंजन, गैलमर व सकारात्मकता की दुनिया में भी स्टार्स गुरुदत्त, दिव्या भारती, परवीन बाॅबी, जिया खान, कुणाल सिंह, नफीसा जोसेफ, प्रत्यूषा बनर्जी, सिल्क स्मिता, कुलविंदर रंधावा, कुशल पंजाबी और सुशांत सिंह राजपूत जैसे और भी कई स्टार्स हैं, जिनकी आत्महत्या कल्पना के परे है। इन लोगों के सुसाइड करने की वजह मेंटल इलनेस या डिप्रेशन थी।

बिहार के पूर्णिया जिले से निकलकर मुंबई की मायानगरी में छाने वाले 34 वर्षीय एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने पिछले महीने 14 जून को बांद्रा स्थित अपने फ्लैट में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अभी तक सुशांत की आत्महत्या की वजह सामने नहीं आई है, पर मुंबई पुलिस के मुताबिक उनके फ्लैट से कुछ दवाइयां मिली है, जिससे लगता है कि वह पिछले कुछ महीनों से डिप्रेशन का इलाज करवा रहे थे। सुशांत सिंह राजपूत ने अपने करियर की शुरुआत टीवी सीरियल से की थी। उसके बाद वह फिल्म इंडस्ट्री में गए जहां उन्होंने राब्ता, शुद्ध देसी रोमांस, केदारनाथ, छिछोरे जैसी सक्सेसफुल मूवी दिए। उनके सुसाइड करने के बाद फैंस से लेकर फिल्म इंडस्ट्री तक में कोहराम मच गया है।

सुशांत सिंह राजपूत

कुछ स्टार्स ने तो यह भी बोला है कि सुसाइड किसी चीज का सॉल्यूशन नहीं है। सुसाइड करने से लोग अपने मन की बातें अपने मन के ही अंदर ही दबाकर रखते हैं। जैसे कि सुशांत सिंह राजपूत के 50 सपने थे जो उन्होंने अपने मन के अंदर ही दबा रखे थे। मूवी ग्लैमर की दुनिया जहां लोग पर्दे पर कुछ और होते हैं और अपनी निजी जिंदगी में कुछ और। स्टार तो स्टार यहां तक कि आम जनता ने भी सुसाइड को एक जरिया बना लिया है, जिससे उन्हें लगता है कि हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन आत्महत्या है। 2020 के सर्वे के अनुसार 100 में से 80 लोग आत्महत्या अकेलेपन, डिप्रेशन और कोविड-19 पॉजिटिव होने की आशंका से कर रहे हैं।

बाॅबी देओल

उतार-चढाव तो जीवन का अहम हिस्सा है: बाॅबी देओल
बॉबी देओल का कहना है कि उन हस्तियों पर एक नजर डालना, जिन्होंने उनके निधन के बाद देश भर में सदमा भेजा है, यह एक अच्छा संकेत नहीं है, हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ है, अतीत में कई फिल्म स्टार्स थे, जिन्होंने इस घृणित कार्य को अंजाम दिया है, मुझे लगता है कि जीवन में कभी-कभी हममें से बहुत से लोग सोचते हैं कि आशाओं, समृद्धि और खुशी के सभी दरवाजे हमारे लिए बंद हो गए हैं और मृत्यु हमें सभी तनावों, समस्याओं से मुक्त कर देगी। मैं इस कदम की कभी सराहना नहीं करूंगा, हम सभी को पता होना चाहिए। जीवन उतार-चढ़ाव से भरा होता है और हर अंधेरी रात एक चमकदार सुबह के साथ समाप्त होती है।”

नवाजउद्दीन सिद्दीकी

सुसाइड वही करते हैं जो जीवन का बोझ नहीं उठाना चाहते: नवाजुद्दीन
नवाजउद्दीन सिद्दीकी कहते हैं कि आत्महत्या बहुत ही अप्रिय कदम है यह एक आसान निर्णय नहीं है, लेकिन यह बहादुरी भी नहीं है, जीवन मानव जाति के लिए भगवान का सबसे अनमोल उपहार है। मुझे लगता है कि चिंता जैसी मानसिक बीमारी, ऐसे लोगों के आशावाद को छीन लेता है और वे जीवन का बोझ नहीं उठाना चाहते हैं, मुझे ऐसे व्यक्ति के लिए पूरी सहानुभूति है, मुझे लगता है कि इन बीमार लोगों को मनोचिकित्सकों के उचित उपचार की आवश्यकता है।

Ravi Kishan
रवि किशन

आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है: रवि किशन
भोजपुरी स्टार रवि किशन का कहना है कि नकारत्मकता से हम अक्सर हार मान लेते हैं। कलाकार भावुक दिल का मालिक होता है अक्सर सफल होने के बाद सफलता बरकरार रखने के लिए कूटनीति, राजनीति, ग्रुप बंदी का सामना करना पड़ता है। आत्महत्या किसी भी तरह के समस्या का समाधान नहीं है। डिप्रेशन, चिंता के कारण कलाकार आत्महत्या करते हैं। इनका समय से इलाज होना आवश्यक है ,मैंने भी बहुत लंबा संघर्ष किया है। दोस्त- दुश्मन सब देखे लेकिन मैंने हिम्मत से काम किया। ऐसे रोग से गुजर रहे लोगों का उत्साह बढ़ाना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं पर भविष्य में अंकुश लग सके।

श्वेता तिवारी

इतना याद रखें कि हर रात के बाद सवेरा आता है: श्वेता तिवारी
अभिनेत्री श्वेता तिवारी कहती हैं कि आत्महत्या किसी भी स्थिति में जायज नहीं है। डिप्रेशन का इलाज होना चाहिए। रोगी के दोस्त,परिवार की जिम्मेदारी बनती है कि मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएं और उसका इलाज और उसकी काउंसलिंग करवाएं। रोगी को एहसास, विश्वास दिलाएं कि मुश्किल घड़ी में हम उसके साथ हैं। हर रात के बाद सवेरा होता है, उसे बताएं कि संकट की घड़ी अस्थाई है।

Poonam Dubey
पूनम दुबे

असफलता व संघर्ष तो हमें और मजबूत बनाता है: पूनम दुबे
भोजपुरी फिल्म की कैटरीना कैफ पूनम दुबे ने कहा कि हर प्रोफेशन में रुकावट और संघर्ष है। जो लोग संघर्ष से डरते नहीं उसका सामना वीरता से करते हैं अंत में जीत उनकी होती है। असफलता और संघर्ष हम को और अधिक मजबूत बनाता है। रुकावट, दुश्मन और दोस्त हम सबको पग-पग पर मिलते हैं। मेरी समझ से आत्महत्या कायरता का प्रतीक है।

दिव्या द्विवेदी

सुशांत की मौत का सच सबके सामने आना चाहिए: दिव्या द्विवेदी
अभिनेत्री दिव्या द्विवेदी का कहना कि जिंदगी ईश्वर द्वारा प्राप्त एक खूबसूरत तोहफा है जिसे कठिन से कठिन परिस्थितियों में जीने वाले व्यक्ति विशेष भी संभाल कर रखना चाहते हैं। सुशांत सिंह राजपूत की घटना ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि ऐसा क्यों हुआ? इनसे पहले भी कुछ और मॉडल और एक्टर ने दुनिया को अलविदा कह दिया क्यों? कहते हैं जब जिंदगी के सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं तो एक नया दरवाजा खुलता है क्या इनके लिए यह नया दरवाजा भी बंद हो गया था? सवालों के चक्रव्यूह में मैं भी उलझी खड़ी हूं। हमारी फिल्म इंडस्ट्री में चल रहे है नेपोटिज्म की वजह से सभी परेशान है। मै भी इसकी शिकार हुई हूं। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि सुशांत सिंह राजपूत का सच सामने आए उन्हें न्याय मिले और उनकी आत्मा को शांति मिले।

तनवीर जैदी

जिंदा रहकर इंसान अपनी समस्याओं से जूझ सकता है: तनवीर जैदी
अभिनेता तनवीर जैदी ने कहा मैं समझ सकता हूं व्यक्ति के लिए जीवन से बढ़कर कुछ और अनमोल नहीं। जब कलाकार आत्महत्या करते हैं तो उसकी मनोस्थिति क्या होती है इससे मैं अनभिज्ञ नहीं हूं। जब सारे दरवाजे बंद महसूस होते हैं और एक दरवाजा ईश्वर के पास जाने के लिए खुला मिलता है तो तभी एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। अब सवाल यह उठता है कि आत्महत्या करने से क्या सभी समस्याओं का समाधान मिलता है। नहीं बल्कि उससे उनके दोस्त, परिवार के लिए समस्याएं और भी बढ़ जाती है। जीवित रहकर परिस्थितियों से लड़कर विजय प्राप्त की जा सकती है, किंतु आत्महत्या से इंसान सारी संभावनाओं के आगे स्वयं को पूर्नविराम लगा लेता है। मेरी दृष्टि में आत्महत्या कायरता का प्रतीक है।

टीना घई

कोई ऐसे ही नहीं करता सुसाइड, सुशांत मामले की जाँच होनी चाहिए : टीना घई
टीना घई कहती हैं कि आत्महत्या और हत्या में बड़ी ही बारीक लाइन है। आत्महत्या में आपको इतना परेशां किया जाता है कि आप अपनी जान लेने को मजबूर हो जाएँ। सुसाइड कोई जानबूझकर नहीं करता है, कोई न कोई मजबूरी रहती है। मेरा मानना है की सुशांत सिंह राजपूत की मौत की अच्छे से जांच होनी चाहिए। इस बार हमें चुप नहीं बैठना चाहिए। सुशांत का जो किस्सा हुआ है। मैं समझती हूँ कि फ़्रस्ट्रेट होते हैं, पर तब बुरा होता है जब आपको बार बार यह जताया जाता है कि आपकी ज़िन्दगी में अब कुछ भी नहीं है। आपके आसपास के लोग आपको हमेशा नीचे दिखाने की कोशिश करते रहते हैं। अब तक बॉलीवुड में इस तरह के कई केस हुए पर अब तक मुझे किसी केस में फाइनल रिजल्ट नहीं पता चला है, पर इस मामले में मैं पर्सनली चाहती हूँ कि सच्चाई सबके सामने आये।

दीपशिखा नागपाल

ऐसी कोई परेशानी नहीं जिसका कोई सॉल्युशन न हो : दीपशिखा नागपाल
अभिनेत्री दीपशिखा नागपाल कहती हैं कि सुसाइड किसी भी परेशानी का सॉलूशन नहीं है। इंसान के पास कितने भी परेशानी क्यों न हो, सुसाइड किसी भी नज़र में उपाय नहीं हो सकता। एक्टर हों मॉडल हों या आम इंसान, सुसाइड से कुछ नहीं होता है। कोई भी दर्द हो, परेशानी हो आप आगे बढिये, अपनी परेशानी को दूर करिये। कोई भी परेशानी हो सकती है। पैसे की प्रॉब्लम हो, पर्सनल प्रॉब्लम हो या रिश्ते में कोई करवाहट हो, आप उसे लड़ना सीखिए। अपनी परेशानियों को दूर करना सीखिए, डॉक्टर्स के पास जाइये, पर सुसाइड तो किसी हाल में नहीं करना चाहिए।

रवि गोसाई

आत्महत्या तो एक तरह से कायरता है: रवि गोसाई
रवि गोसाईं कहते हैं कि आत्महत्या करना कायरता है। कुछ लोग नशे की लत की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो कर भी आत्महत्या कर लेते हैं। मेरी सहानुभूति ऐसे किसी भी कलाकार या व्यक्ति से नहीं है जो कायर हो और परिस्थितियों से हार मान कर अपनी जान ले ले।

प्रमोद माउथो

इंसान को कभी भी संघर्ष नहीं छोड़ना चाहिए: प्रमोद माउथो
इस मामले पर प्रमोद माउथो का कहना है कि जीवन का दूसरा नाम संघर्ष है, इंसान को हर रास्ते पर संघर्ष करना पड़ता है। जैसे एक अच्छा चालक अपनी गाड़ी स्पीड ब्रेकर से सुरक्षित निकाल लेता है उसी तरह एक व्यक्ति को भी जीवन की बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हिम्मत से करना चाहिए। आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि इससे परिवार के सदस्य और समस्या से गिर जाते हैं और बदनामी भी होती है।

सनोज मिश्रा

आत्महत्या इंसान की हताशा व महत्वाकांक्षा को दर्शाता है: सनोज मिश्रा
भोजपुरी फिल्म के डायरेक्टर सनोज मिश्रा ने कहा फिल्म स्टार और मॉडल का आत्महत्या करना उनकी हताशा और महत्वाकांक्षा जो कि आसानी से न मिलने के दर्द को दर्शाता है साथ ही ऐसे स्टार मानसिक तौर पर बीमार होते है, जीवन के मूल्य को नहीं समझते और आवेश में आकर ऐसा कदम उठाते है जो एक गलत परम्परा को जन्म देती है उनके प्रशंसक भी बाद में उनका अनुसरण करने लगते है इसको कायरता ही कहा जाएगा।

दीपराज राणा

जीवन है तो संघर्ष है, इनसे लड़ना सीखें: दीपराज राणा
दीप राज राणा ने बोला जीवन संघर्ष का नाम है, जीवन के हर मोड़ पर निराशा, हताशा, असफलता का सामना करना पड़ता है और यही संघर्ष हम सबको मजबूत करते हुए सफलता के समीप पहुंचाता है। हमको जीवन की घटनाओं से इतनी जल्दी हार नहीं माननी चाहिए। आत्महत्या समस्या का निवारण नहीं है।

पवन शंकर

हर मोड़ पर हमें लड़ना सीखना चाहिए: पवन शंकर
पवन शंकर कहते हैं कि आत्महत्या कोई नतीजा नहीं है, ये व्यक्ति की किसी एक लम्हें की कमजोरी को दर्शाती है, वैसे अपनी जान लेना बहुत हिम्मत का काम है, हर मोड़ पर परेशानी आएगी और लड़ना पड़ेगा स ऐक्टिंग की दुनिया में जब तक जीवन है संघर्ष रहेगा, ये मान कर आना चाहिए ।

संजय मासूम

जीवन से अनमोल कुछ भी नहीं है: संजय मासूम
संजय मासूम का इस मामले पर कहना है कि आत्महत्या या आकस्मिक मौत किसी भी वर्ग में बेहद तकलीफदेह है। मैं ऐसा नहीं मानता कि सिर्फ फिल्म की दुनिया में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। जिस मुश्किल दौर से पूरी दुनिया गुजर रही है और जैसी अनिश्चितता हमारे चारों ओर फैली हुई है, उसमें हर जगह हताशा, निराशा, आर्थिक मुश्किलें बढ़ रही हैं। अवसाद अपनी गिरफ्त में सबको ले रहा है। ऐसे में सकारात्मक बने रहना, अपनी ऊर्जा को रचनात्मक कार्यों में लगाना निहायत जरूरी है। जीवन बेहद मूल्यवान है, इसे हर हाल में बचाया जाना चाहिए।

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