वो कड़वी सच्चाई जो आप और हम दोनों जानते है…
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वो कड़वी सच्चाई जो आप और हम दोनों जानते है…

By Puja Kaushik

थप्पड़ जैसी फिल्में हमारे समाज की सच्चाई दिखती है, वो कड़वी सच्चाई जो आप और हम दोनों जानते है मगर उस पर बात नहीं करना चाहते। इस फिल्म के बारे में बात करना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह फिल्म पहले से ही विवादों के घेरे में है। पुरुष चौकीदार इस तरह की फिल्म को पचा नहीं सकते, उन्हें एक महिला को थप्पड़ मारने में कोई गलती नहीं लगती है। फिल्म ‘थप्पड़’ से को नाम जुड़ा है, उस वजह से फिल्म से पहले से काफी उम्मीदें थीं । अनुभव सिन्हा से बेहतरीन कहानी और डायरेक्शन में बनी ये फिल्म में पटकथा और पात्रों ने फिल्म की कहानी के साथ न्याय किया।

यह फिल्म अलग नहीं है, यह कहानी हम हर दिन अपने परिवारों में देखते हैं। यह सिर्फ तपसे पन्नू के अमृता वाले character की कहानी नहीं है, बल्कि एक थप्पड़ के बाद एक महिला के आत्म सम्मान की लड़ाई है, लेकिन फिल्म में हर महिला की एक कहानी इस तथ्य को स्वीकार करती है कि वे महिला हैं और उन्हें समायोजित करने की आवश्यकता है।

‘लड़की हो, थोडा एडजस्ट करना ही पड़ता है’, ‘मैंने क्या बेटी की शादी अच्छे घर में इसलिए कराई थी कि वो मायके आकर बैठ जाए”, ये वो दमदार डायलॉग्स हैं जो आपको सोचते पे मजबुर कर देंगे क्योंकि आप इसे घरों में रोज सुनते हैं।

मुख्य पात्र का ये कहना, ‘ बचपन में मुझे स्कूल मैं कोई पुछता है, बड़े होके क्या बनना है, तो मैंने कभी नहीं कहा कि मुझे हाउसवाइफ बनना है, कब उसकी बीवी bnte- बनते मैं उसकी ज़िन्दगी जीने लगी पता ही नहीं चला।

शादी एक महिला का जीवन बदल देता है। वह अपने पूरे परिवार को छोड़कर अपने ससुराल, पति और बच्चों के लिए जीवन जीने लगती है। उसे तब खुश होना पड़ता है जब उसका पति खुश होता है, उसे तब दुखी होना पड़ता है जब उसका पति दुखी होता है और वह अपने चेहरे के एक थप्पड़ को भी पचा सकती है क्योंकि उसका पति चिढ़ा हुआ है। इसी तरह हमारा समाज है।

‘तुम्हे खाना बनना नहीं आता तो मैंने एडजस्ट किया ना ‘, यह सवाल से हमारे समाज में एक महिला के लिए निर्धारित किए गए ड्यूटी के बारे में साफ बताता है। एक अकेली महिला की ओर इशारा करते हुए कि वह इतनी अच्छी कमाई कैसे कर रही है, ये टिप्पणी बताता है कि समाज एक अकेली माँ के साथ कैसा व्यवहार करता है। इस तरह के कई संवाद और दृश्य आपको दो बार सोचने के लिए मजबुर कर सकते हैं कि आप जीवन से क्या चाहते हैं और आप पहले से ही जीवन में चीजों को कैसे स्वीकार कर रहे हैं।

एक थप्पड़ रहा, नहीं मार सकता, और सोच के देखिए यही थप्पड़ अगर किसी औरत ने पति को मारा होता???

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