राज कपूर के छोटे भाई शशि कपूर और उनके बेटे रणबीर कपूर और ऋषि कपूर को 1990 में पुश्तैनी घर जाने का मौका मिला। लौटते वक्त ऋषि कपूर ने उस घर के आंगन से मिट्टी उठाया और उसे भारत लेकर आया था कि उन्हें अपनी विरासत याद रहे।
ऋषि कपूर ने अपनी इस यात्रा का जिक्र एक इंटरव्यू में भी किया था। वह 1990 में फिल्म हिना की शूटिंग के लिए लाहौर, कराची और पेशावर गए थे। इसके डायलॉग राजकपूर के कहने पर पाकिस्तानी लेखक हसीना मोइन ने लिखे थे।
रावलपिंडी में रहनेवाले सिनेमा एक्सपर्ट आतिफ खालिद ने एक मीडिया में इंटरव्यू के दौरान बताया था कि कपूर पेशावर के जानेमाने पठान थे। वे पृथ्वीराज कपूर का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब सब इंस्पेक्टर बशेश्वरनाथ का बेटा (पृथ्वीराज) पेशावर से बांबे फिल्मों में काम करने गया तो भारत में तब की सबसे बड़ी फिल्म मैगजीन के एडिटर बाबूराव ने लिखा था – जो पठान ये सोचते हैं कि वह एक्टर बन जाएंगे तो उनकी यहां कोई जगह नहीं है। लेकिन कपूर खानदान ने वहां जो नाम कमाया, वैसा और किसी के हिस्से नहीं आया।
1947 में बंटवारे के बाद कपूर खानदान के लोग बाकी हिंदुओं की तरह शहर और हवेली छोड़कर चले गए। 1968 में एक ज्वैलर हाजी कुशल रसूल ने इसे खरीद लिया और फिर पेशावर के ही एक दूसरे व्यक्ति को बेच दिया।
मीडिया ख़बरों की माने तो आज उनके हवेली का इस्तेमाल बस शादी ब्याह जैसे जश्न में किया जाता है। हवेली के पुराने मालिकों ने इस धरोहर की ऊपरी तीन मंजिलों को कई साल पहले गिरा दिया। भूकंप से उनकी दीवारों में दरारें पड़ गईं थीं।
हाल ही में ऋषि कपूर ने पाकिस्तान की सरकार से इसे बचाने के लिए मदद मांगी थी। विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी कहते हैं, ऋषि कपूर ने मुझे फोन किया था। वह चाहते थे कि उनके पारिवारिक घर को म्यूजियम या इंस्टीट्यूट बना दिया जाए। हमने उनका आग्रह मान लिया है।
पाकिस्तान सरकार पेशावर किस्सा ख्वानी बाजार के इस घर को अब म्यूजियम बनाने जा रही है। इसमें आईएमजीसी ग्लोबल एंटरटेंमेंट और खैबर पख्तून की सरकार भी मदद कर रही है। यह पाकिस्तान में बॉलीवुड की सबसे मजबूत धरोहर है। कई विदेशी पर्यटक और स्थानीय लोग इसे देखने आते हैं।