अभिनेत्री सीमा पाहवा (Seema Pahwa) की बिटिया अपनी ममा की तरह ही पर्दे पर एक अलग पहचान बनाने में लगी है। सुई धागा और रामप्रसाद की तेरहवीं में आप मनुकृति पाहवा (Manukriti Pahwa) को देख चुके होंगे। छोटे किरदार के बावजूद मनुकृति को लोगों ने बहुत पसंद किया था। अब पहली बार वे लीड रोल में आने वाली हैं। ये मर्द बेचारा (Ye Mard Bechara) से वे लीड रोल में दिखने को तैयार हैं।
बॉलीवुड की उभरती नायिका मनुकृति पाहवा (Manukriti Pahwa) सुई धागा और रामप्रसाद की तेरहवीं में खूब पसंद की गई थीं। इस बार मनुकृति पाहवा अपने करियर का बड़ा इम्तिहान देने जा रही हैं, वे आनेवाली फिल्म ये मर्द बेचारा (Ye Mard Bechara) से बतौर मुख्य नायिका रुपहले पर्दे पर पदार्पण कर रही हैं। इस फिल्म को लेकर वे कहती हैं कि पहली बार बतौर मुख्य नायिका आ रही हूं तो मन में संदेह भी व्याप्त है कि कहीं ऑडियंस नकार न दें। वैसे भी जब आप लीड किरदार निभा रहे होते हैं तब आप पर जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
मनुकृति पाहवा कहती हैं कि फिल्म की कहानी कुछ इस तरह की है, जिसमें हम मां-बेटी पहली बार पर्दे पर सास-बहू बनकर उभरेंगे। अक्सर सास-बहू का रिश्ता कड़वाहट के साथ देखने को मिलता है लेकिन यहां पर आप सास-बहू का बहुत ही मजबूत प्यार भरा रिश्ता देखेंगे। मां सीमा पाहवा के बारे में मनुकृति कहती हैं कि मैं उनके साथ कभी भी खुद की तुलना नहीं कर सकती। मेरी तो अभी शुरुआत है वहीं मां का पचास साल का अनुभव। वो आज भी हार्ड वर्क करती हैं। मैं तो उनका कुछ प्रतिशत भी कर लूंगी, तो धन्य हो जाऊंगी।
अभिनेत्री मनुकृति पाहवा कहती हैं कि मैंने अब तक जो भी काम हासिल किया है वह अपनी कड़ी मेहनत और ऑडिशन के दम पर हासिल किया है। कहना आसान होता है कि आप फिल्मी बैकग्राउंड से हो तो आसानी से काम मिल जाता होगा, जबकि ऐसा कतई नहीं है। पर्दे पर अंग प्रदर्शन को लेकर वे कहती हैं कि दिखाना आजकल आम हो चला है। अगर कहानी की मांग है तो परहेज नहीं होना चाहिए अन्यथा इसकी कोई जरूरत नहीं।
मनुकृति पाहवा कहती हैं कि नशा तो हर जगह सर्वव्याप्त हो चुका है, इससे आज कौन-सा क्षेत्र अछूता है। लोगों को इससे सावधान रहना होगा अन्यथा ये हमारे समाज को खोखला कर देगा। सिनेमा से जुड़े लोगों को भी इससे परहेज करना चाहिए क्योंकि ऑडियंस हम कलाकारों को बड़े स्तर पर फॉलो करती है।