जबलपुर की सानविका ऐसे ही नहीं बनी फुलेरा ‘पंचायत’ के प्रधान की बेटी, पढ़िए उसके संघर्ष की कहानी
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जबलपुर की सानविका ऐसे ही नहीं बनी फुलेरा ‘पंचायत’ के प्रधान की बेटी, पढ़िए उसके संघर्ष की कहानी

Panchayat Fame Actress Sanvikaa as Dauther of Pradhan Ji Rinki-Filmynism

वेबसीरीज ‘पंचायत’ का दूसरा सीजन रिलीज हो चुका है। फुलेरा ग्राम पंचायत में सचिव जी की कशमकश के बीच रिंकी का प्यार धीरे-धीरे अंगड़ाई ले रहा है, तो प्रधान जी अपनी अगली पारी की तैयारी में लग गए हैं, पर इस मिशन को काटने की हरसंभव कोशिश कर रहा है एक वनराकस। जी हां, पंचायत का हर एक सीन आपके दिल को छूने वाला है। बाकी कलाकारों के साथ ही अपनी दिलकश अदायगी से दर्शकों का क्रश बन चुकी हैं प्रधान की बेटी रिंकी। आज हम उसी रिंकी यानी सानविका से उनके अब तक के सफर के बारे में बताएँगे।

टीवीएफ की ओर से अमेजन प्राइम पर हाल में रिलीज हुई वेबसीरीज पंचायत की धूम मची हुई है। इसकी कसी हुई कहानी हो या बेहतरीन प्लाॅट, कलाकारों की शानदार एक्टिंग हो या गांव-जवार की खूबसूरत महक, हर पैमाने पर खरी उतरने की भरपूर कोशिश की गई है। पहले सीजन के अंतिम एपिसोड में प्रधान जी की बेटी रिंकी और सचिव जी के बीच की बात अधूरी रह गई थी, जो दूसरे सीजन में आगे बढ़ी है। सचिव जी यानी जितेंद्र कुमार के साथ प्यार के अलग अहसास में रिंकी यानी सानविका की मासूमियत दर्शकों को खूब पसंद आई है। शायद यही वजह है कि अब दूसरे सीजन के बाद तीसरे सीजन का भी इंतजार शुरू हो गया है कि आखिर सचिव जी और रिंकी के बीच कुछ होगा और अगर होगा तो कैसे, कब होगा। पेश है फिल्मीनिज्म के लिए सानविका से संजीत मिश्रा की हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

मैं बचपन से ही थोड़ी शाई टाइप की लड़की रही हूं। मैंने अपनी लाइफ में कभी नहीं सोचा था कि एक्टिंग में जाउंगी। पेंटिंग या ड्राइंग का शौक तो था, पर एक्टिंग का नहीं। वो तो मुंबई जब आई तो दोस्त के कहने पर आगे बढ़ी और फिर कोइंसिडेंटली एक्टिंग के फील्ड में आ गई।

जबलपुर से वाया बेंगलुरू होते मुंबई तक का सफर कैसा रहा?

इंजीनियरिंग करने के बाद बहुत कंफ्यूज्ड थी। हालांकि कुछ अलग करने का सपना लिए जब मैं घर यानी जबलपुर से निकली तो मन में कई सवाल थे, पर सबसे जरूरी था मेरा वहां से निकलना। एक्चुअली, मुझे जबलपुर से किसी तरह बाहर निकलना था, क्योंकि वहां अपाॅरच्यूनिटी बहुत कम थी और नाइन टू फाइव वाली जाॅब मुझे बिल्कुल नहीं करनी थी, और कुछ ऐसा करना था जहां मैं ट्रेवल कर सकूं, खुद को प्रूव कर सकूँ। पेरेंट्स को जाॅब के लिए बोलकर निकली। वहां से बेंगलुरू आ गई, वहां दो-तीन महीने रहने के बाद फाइनली मुंबई आ गई। यहां आकर लाइफ मुश्किल तो थी, पर जरूरत के वक्त कहीं न कहीं से मुझे हेल्प मिल जाती थी। तब लगता था जैसे कोई मेरे पीछे खड़ा है, मुझे आशीर्वाद दे रहा है, ताकि मैं अपनी मंजिल की तरफ बढ़ सकूं। ऑडिशंस के प्लेसेज पता हो गए। ऑडिशन देने लगी और फिर थोड़े बहुत पैसे भी मिलने लगे। हालांकि हमारी इस इंडस्ट्री में कुछ भी सर्टेन नहीं है, इसलिए आपको पता नहीं होता है कि आगे क्या होगा। कई बार आपको लगता है कि अब आगे क्या होगा, अच्छा होगा, बुरा होगा। मेरी भी अब तक की जर्नी कुछ इसी तरह की इमोशनली रही है, पर, थैंक गाॅड मुझे बहुत प्राॅब्लम नहीं हुई और आज यहां तक पहुंच पाई हूं।

वेबसीरीज पंचायत के लिए आपको ऑफर कैसे मिला?

यूजुअली आप इस फेज में जिस तरह हर स्टूडियो या प्रोडक्शन हाउस में जाते हो। मैं भी एक बार वहां गई। जब वहां गई तो देखी बहुत भीड़ लगी थी। एक दफे तो मन किया वापस चल जाउं, लेकिन फिर अंदर से कास्टिंग का एक बंदा बाहर आया और उसने कहा कि टीवीएफ की एक सीरीज के लिए आप ऑडिशन दे सकती हैं। मैंने फौरन हां कह दी। क्योंकि मैं कास्टिंग बे से एक बार जुड़ना चाहती ही थी। मैं उस इंटेंशन से गई तो नहीं थी कि काम मिल ही जाएगा। पर, मैंने ऑडिशन दी, अच्छा भी गया। लगा नहीं था कि हो ही जाएगा, लेकिन एक सप्ताह बाद ही काॅल आ गया और मैं सेलेक्ट हो गई।

मुंबई आने पर ऑडिशन के दौरान कई बार मेरे साथ भी ऐसा हुआ जो थोड़ा परेशान किया, पर मैं हारी नहीं। कई बार सेलेक्ट होने के बाद अगले दिन आपको पता चलता है कि आपको इस रोल के लिए फिट नहीं पाया गया, ऐसा मेरे साथ भी हुआ। पर, मैं खुद को कोसने या कुछ गलत सोचने के बजाय आगे बढती रही।

आपको बाॅलीवुड या टीवी के किस कलाकर ने प्रभावित किया है और किसके साथ काम करने की इच्छा है?

मेरी दिली इच्छा थी कि मैं एक बार इरफान सर के साथ काम करूं। हालांकि अब वे हैं नहीं और मेरा यह सपना कभी पूरा नहीं हो सकता। पर, उन्हें बहुत पसंद करती थी। वे हमेशा से पसंदीदा रहे हैं। उनके बाद मुझे नवाजुद्दीन के साथ काम करने का बहुत मन है। इसके अलावा रघुवीर सर, नीना मैम भी बहुत अच्छे लगते हैं और इनके साथ काम करके वाकई बहुत अच्छा लगा, काफी कुछ सीखने को मिला।

पहली ही बार में सफलता का स्वाद चखकर कैसा लग रहा है, आपके काम की इतनी तारीफ हो रही है?

जब हम काम करते हैं तो एक एक्सपेक्टेशन रहता ही है कि रिस्पांस अच्छा मिले। मैं जब काम कर रही थी तो मेरा फिलहाल कोई एक्सपेक्टेशंस नहीं था कि कैसा होगा, क्या होगा। लेकिन प्रेशर था थोड़ा कि हर कोई रिंकी को देखना चाहता था, इसलिए थोड़ा डर भी था। इसके अलावा रघुवीर यादव और नीना गुप्ता के साथ काम करते हुए डर भी लग रहा था कि मेरा किरदार कैसा रहेगा, पर भगवान का शुक्र है कि सब अच्छा रहा, शायद बहुत अच्छा रहा।

अब आगे किस तरह के रोल करना पसंद करेंगी?

फिलहाल तो मैं हर तरह के रोल करना चाहूंगी। मेरी प्रेफरेंस की बात की जाए तो वीमेन सेंटिक, एजेंट और एक्शन वाली कहानियां पसंद में रहेंगी। फिर भी इतना जरूर कहूंगी कि अभी मैं हर तरह के किरदार निभाना चाहती हूं, ताकि खुद को प्रूव कर सकूं। इसके अलावा मैं रीजनल्स फिल्म भी करना चाहूंगी, क्योंकि मुझे रीजनल फिल्म बहुत अच्छी लगती हैं।

ऐसा कुछ नहीं है कि मैं रोमैंटिक सीन्स नहीं करना चाहती हूं या मुझे रोमैंटिक सीन पसंद ही नहीं हैं। दरअसल, मैं खुद को उतनी रोमैंटिक नहीं मानती और यही वजह है कि वो जाॅनर मुझे बहुत पसंद नहीं है। पर ऐज एन एक्टर मौका मिला तो वो भी करूंगी। क्योंकि जब तक आप हर तरह के रोल नहीं कर लेते, एक अच्छा आर्टिस्ट नहीं कहलाते हैं।

इस सीजन के बाद आपके नाम के आगे ‘इंडिया का नया क्रश’ जैसा टैग जुड़ गया है, कैसा लग रहा है?

टू बी ऑनेस्ट, मैं तो अभी भी समझ नहीं पा रही हूं कि एकदम से ऐसा क्या हो गया कि मुझे लोग इंडिया का नया क्रश कहने लगे हैं। मैं तो पहले भी वही थी और अब भी वही, फिर एकदम से क्या हो गया। लेकिन यह सुनकर भी रियलिटी में रहना चाहती हूं, क्योंकि आजकल की लाइफ इंस्टाग्राम वाली हो गई है। जो चीज एकदम से वायरल होती है, वह एकदम से गायब भी हो जाती है। सो जब तक वो है, तब तक इंज्वाॅय कर रही हूं। लोगों के ढेर सारे प्यारे प्यारे मैसेजेज आ रहे हैं, अच्छा लग रहा है।

पंचायत के तीसरे सीजन में प्रधान जी की बेटी रिंकी को देखने के लिए दर्शक अभी से एक्साइटेड हैं, क्या आपके दिल में भी कोई एक्साइटमेंट है?

बिल्कुल, एक्साइटमेंट तो बहुत है। मैं भी जानना चाहती हूं कि आगे क्या होगा। दरअसल, अभी तीसरे सीजन की स्टोरी लिखी नहीं गई है, इसलिए मुझे भी नहीं पता कि आगे क्या होगा। यह स्टोरी कौन सी दिशा लेती है, बाकी कलाकारों के साथ क्या होता है, रिंकी और सचिव जी के बीच क्या होता है, ऐसे सवाल मेरे अंदर भी हैं जो शायद कहानी लिखे जाने पर ही पता चलेगा। इसलिए तीसरे सीजन के लिए मैं भी बहुत एक्साइटेड हूं।

दीपक कुमार मिश्रा का डायरेक्शन अच्छा है। उन्होंने सीरीज में सबकुछ अप टू दी मार्क रखने की कोशिश की है और इसमें सफल भी हुए हैं। छोटी से लेकर बड़ी डिटेल तक उन्होंने सबकुछ ध्यान रखा है। प्रोडक्शन डिजाइन का भी ख्याल रखा गया है और माइन्यूट-सी माइन्यूट चीजों को करने से सजाया गया है, ताकि कुछ भी भद्दा या ज्यादा नहीं लगे।

देखते देखते लोगों का क्रश बन गई टंकी पर बैठकर चाय पी रही प्रधान जी की बेटी रिंकी

पानी की टंकी पर चढ़ने के अपने एक्सपीरियंस पर सानविका कहती हैं, जब पहले दिन का शूट था तो उन्होंने डायरेक्ट मुझे टंकी पर चढ़ा दिया। देखने में वो मजबूत लगती है, पर असल में बहुत हिल रही थी। टंकी पर पूरी टीम थी। मैं सोच रही थी कि अगर ये गिरी तो हम सब एक साथ नीचे जाएंगे।

अपनी इस सफलता के लिए मैं शुक्रिया करना चाहती हूं सीरीज के डायरेक्टर दीपक कुमार का। उनका मुझ पर बहुत विश्वास था। मैं अपने किरदार को लेकर बहुत श्योर नहीं थी। पर, उनकी वजह से ही रिंकी का किरदार इतना निखर कर आ सका है। मैं उनकी बहुत शुक्रगुजार हूं।

इस सीजन में जीतू के साथ चाय वाला सीन मेरा फेवरेट है। उसके एक्प्रेशन मेरे लिए इसलिए भी इंपाॅर्टेंट है कि वह मेरा फर्स्ट डे शूट था। वो शूट करने के बाद मुझे लगा कि पता नहीं कैसा आया होगा, इसलिए थोड़ी नर्वस भी थी। उस सीन को शूट करने में भी बहुत मजा आया। जब जीतू चाय बना रहे थे, तो हमलोगों ने खूब मजा किया। पूरी टीम ने उस पल को इंज्वाॅय किया था।

सानविका कहती हैं कि जब आप सीधे सीधे कहते हैं कि मुंबई जाना है तो पेरेंट्स इजाजत नहीं देते। उनके मन में 100 तरह के ख्याल आते हैं। इसलिए मैं झूठ बोलकर बेंगलुरु गई और एक दो महीने रहकर घर पर बिना बताए मुंबई आ गई। मुंबई में घर मिलना, सारी चीजें मैनेज करना बहुत मुश्किल था, पर सबकुछ बस होता चला गया।

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