कागज (Kaagaz) कोरा तभी तक है, जब तक उस पर कुछ लिखा नहीं गया हो। कोरा कागज पर कुछ भी अगर दर्ज हो गया फिर वह कानून बन जाता है, सबूत बन जाता है। इसलिए कागज पर लिखे हर शब्द की महत्ता होती है, हर लाइन महत्वपूर्ण होता है। जी5 (Zee5) पर रिलीज हुई सलमान खान (Salman Khan) निर्मित व सतीश कौशिक (Satish Kaushik) निर्देशित कागज (Kaagaz) ऐसी ही एक अनोखी लड़ाई की कहानी है। इस कागज को जीवंत कर दिया है पंकज त्रिपाठी ने। जी हां, पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) पहली बार लीड रोल में दिखे हैं। जानदार एक्टिंग के जरिए उन्होंने कागज को वाकई देखने लायक बना दिया है।
सलमान खान निर्मित और सतीश कौशिक निर्देशित कागज (Kaagaz) की असल कहानी के नायक उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में रहने वाले लाल बिहारी (Lal Bihari) मृतक हैं, पर फ़िल्मी परदे पर यह कागजी जंग पंकज त्रिपाठी ने भरत लाल के रूप में लड़ी है और इतनी शिद्दत से लड़ी है कि दर्शक इस लड़ाई में खो जाता है। कभी हंसता है तो कभी सोचने को मजबूर होता है और कभी भरत लाल पर तरस खाने लगता है। कागज हिंदी सिनेमा में व्यंग्य-प्रधान फिल्मों की उस परम्परा की कड़ी मानी जा सकती है, जिसका एक सिरा हिंदी सिनेमा की कल्ट फिल्म जाने भी दो यारों तक जाता है। इस फिल्म का सह-लेखन सतीश कौशिक ने ही किया था।
फिल्म की कहानी है उत्तर प्रदेश का निवासी भरत लाल (पंकज त्रिपाठी) की, जो खुद का बैंड चलाता है। उसकी धुन सभी का दिल बहलाती है, लेकिन बड़े सपनों को पूरा करने के लिए कर्जा लेना चाहते हैं। फैसला जरूर भरत लाल की पत्नी का है, लेकिन ये खुशी-खुशी ख्याली पुलाव पका रहे हैं। वे सीधे लेखपाल के पास जाते हैं और अपने हक की जमीन मांगते हैं। (कर्जा लेने के लिए जमीन को बतौर सिक्योरिटी देने की बात हुई है) बस इतना बोलते ही भरत लाल के सारे सपने टूट जाते हैं क्योंकि जमीन मिलना तो दूर उन्हें तो अपनी जिंदगी का वो सच पता चल जाता है जिसकी वजह से 18 साल लंबी एक जंग की तैयारी करनी पड़ती है।
भरत लाल कानूनी कागजों में कई साल पहले ही मृतक बता दिए गए हैं। शरीर से जिंदा हैं, लेकिन रिकॉर्ड में वे मर गए हैं। भरत के लिए एक कागज ने ऐसी दुविधा पैदा कर दी है कि उन्हें अब जिंदा होते हुए भी अपने जीवित होने का सबूत देना पड़ रहा है।
अब अपना जीवित होने का प्रमाण कैसे देंगे? विरोध करेंगे, अपील करेंगे और बाद में कोर्ट-कचेरी के चक्कर काटेंगे। इस पूरी लड़ाई में साधूराम (सतीश कौशिक) नाम का वकील भरत लाल के साथ लगातार खड़ा रहेगा। तो क्या कागज से इस पत्थर की लकीर को मिटा पाएंगे भरत लाल? जिंदा होकर भी जीवित होने का सबूत पेश कर पाएंगे भरत लाल? जानने के लिए आपको देखनी ही पड़ेगी सतीश कौशिक की फिल्म कागज।
जिस फिल्म के साथ पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) का नाम जुड़ जाए तो एक्टिंग की बात करना फिजूल लगता है। वे कभी भी एक्टिंग नहीं करते हैं। वे तो उस किरदार को ऊपर से लेकर नीचे तक, सिर्फ जीते हैं। कागज में पंकज की वो प्रथा जारी है। कहें तो भरत लाल बन पंकज ने गदर मचा दिया है। पंकज त्रिपाठी जिस भी फिल्म में आते हैं, उस फिल्म में जान आ जाती है। हाल में रिलीज हुई वेबसीरीज क्रिमिनल जस्टिस में भी वकील के किरदार में पंकज त्रिपाठी ने बेहतरीन एक्टिंग की है। पटना के मिश्रा जी बने पंकज त्रिपाठी की एक्टिंग आपको जरूर पसंद आएगी। कागज में पंकज त्रिपाठी पहली बार लीड रोल में दिखे हैं। यह फिल्म उनके कॅरियर में मील का पत्थर साबित होने वाला है। फिलहाल तो आपको कागज जरूर देखनी चाहिए।
(#फिल्मीनिज्म की तरफ से सलमान खान निर्मित और सतीश कौशिक निर्देशित कागज को पांच में से 3.5 स्टार।)