मोहब्बत के रंग कितने होते हैं जिन्हे चाहने और सराहने को सिखाता है कभी कभी तो प्यार के अंदाज़ को फ़िल्मी अंदाज़ भी मिल जाता है. अक्सर फिल्में लोगों को रोमांस करने का तरीका सीखाती हैं. इम्तियाज अली उन्ही नुमाया फिल्मो के डायरेक्टर रहे हैं जिन्होंने प्यार के बीज को समाज के कई किरदारों में पिरोया।
‘जब वी मेट’ से लेकर ‘लव आज कल’ जैसी फिल्मों के जरिए इम्तियाज ने मोहब्बत को फिल्माने के नजरिए में बदलाव लाया। इम्तियाज ने अपनी फिल्मों के जरिए यह बताया कि सिर्फ महिलाओं को उनके सामाजिक हक और इंसाफ मुहैया कराने से काम नहीं चलेगा बल्कि उनके अरमानों को भी अपने बीच जगह देनी होगी।
जब वी मेट
एक ट्रेन सीन है जिसमें गीत (करीना कपूर) भागते हुए ट्रेन में चढ़ती हैं। यह सीन ही इस फिल्म में करीना के किरदार के अनोखेपन को बयां करने के लिए काफी है। साल 2005 में करीना द्वारा निभाया यह किरदार आज भी नए कलाकारों और दर्शकों के लिए एक आदर्श है. एक तेज-तर्रार और बेबाक लड़की जो दूसरों से धोखे भी खाती है, टूट जाती है लेकिन स्वाभिमान टस से मस नहीं होता है. ये किरदार आज भी सकारात्मक छवि को दर्शाया है.
हाईवे
शहर की आबो-हवा आधुनिक दुनिया में पली-बढ़ी लड़की आत्मविश्वास से भरी हो। ‘हाईवे’ में आलिया भट्ट का वीरा का किरदार भी कुछ ऐसा ही है. अपहरण और वापसी के बाद वापस आई वीरा यह साबित करती है कि कई मजबूत और सही फैसले लेने के लिए घर से अधिक यह दुनिया मदद करती है। वह लड़कियों को इतना मजबूत बना देती है कि वह अपनो की शक्ल में छिपे दंरिदों से मुकाबला कर पाती है।
लव आज कल,कॉकटेल, तमाशा
इम्तियाज के साथ सबसे अधिक दफा किसी अभिनेत्री ने काम किया है तो वह दीपिका पादुकोण हैं। इम्तियाज की फिल्मों में दीपिका का स्वरूप पर्दे पर निभाने और फिल्माने, दोनों ही लिहाज से चुनौतीपूर्ण था। ‘लव आज कल’ की मीरा पंडित, ‘कॉकटेल’ की वेरोनिका और ‘तमाशा’ की तारा सिंह के जरिए इम्तियाज ने यह साफ कर दिया था कि उनसे जुड़ी प्रत्येक फिल्म में उनकी महिलाएं अपनी शर्त पर जिंदगी जीने वाली महिला के तौर पर नजर आएंगी। उन्हें किसी जोर-जबरदस्ती से नहीं बल्कि सिर्फ प्यार से ही जीता जा सकता है।