आखिर क्यों उठा बॉलीवुड में नेपोटिज़्म का मुद्दा…?
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आखिर क्यों उठा बॉलीवुड में नेपोटिज़्म का मुद्दा…?

फिल्म इंडस्ट्री के भीतर और बाहर भाई-भतीजावाद, गुटबाजी जैसे कई विषयों पर बहस छिड़ गई हैं. वही डिप्रेसन यानी अवसाद भी एक मुद्दा निकल कर सामने आया है. इस मामले में दबंग फेम डायरेक्टर अभिनव कश्यप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर अभिनव ने कास्टिंग एजेंसियों को डेथ ट्रेप करार दिया.

अभिनव ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा हैं कि, “कास्टिंग एजेंसियों के चलते एक दशक तक व्यक्तिगत रूप से परेशान होने के बाद अब मैं यह कह सकता हूं कि ये एजेंसियां किसी का भी जीवन और कैरियर बर्बाद करने में सक्षम हैं.”

मुकेश भट्ट ने हाल ही में सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या को परवीन बाबी से जोड़ते हुए एक बयान दिया था, जिसके खिलाफ अब कंगना रनौत ने प्रतिक्रिया दी है. कंगना ने कहा, सुशांत सिंह राजपूत को पेशेवर रूप से परेशान किया गया और भाई-भतीजावाद के कारण उनकी जान चली गई. सुशांत के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया, वह मैंने अपने करियर के दौरान भी झेला है.

दरअसल जिस नेपोटिज्म शब्द को कुछ दिनों से जो लगातार सुन रहे हैं उसका मतलब क्या होता है शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे। भाई-भतीजावाद अथवा नेपोटिज़्म (Nepotism) दोस्तवाद के बाद आने वाली एक राजनीतिक शब्दावली है जिसमें योग्यता को नजर अन्दाज करके अयोग्य परिजनों को उच्च पदों पर आसीन कर दिया जाता है।

आपको बताए चलें की ये शब्द नेप्टोइज्म शब्द की उत्पत्ति कैथोलिक पोप और बिशप द्वारा अपने परिजनों को उच्च पदों पर आसीन कर देने से हुई। बाद में इस धारणा को राजनीति, मनोरंजन,व्यवसाय और धर्म सम्बन्धी क्षेत्रों में भी बल मिलने लगा।

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