परिवार की हकीकत जाननी है तो ‘रामप्रसाद की तेरहवीं’ में जाइए
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परिवार की हकीकत जाननी है तो ‘रामप्रसाद की तेरहवीं’ में जाइए

Ramprasad Ki Tehrvi-Filmynsim

सीमा पाहवा (Seema Pahwa) ने बतौर निर्देशक अपनी फिल्म ‘रामप्रसाद की तेरहवीं’ (Ramprasad Ki Tehrvi) में ज्यादातर परिवारों में दिखने वाले दिखावटी स्नेह, थोपे हुए कर्तव्यों, पूर्वाग्रहों, उम्मीदों और फर्ज का आइना दिखाया है। कैसे रामप्रसाद भार्गव की मृत्‍यु के बाद उसके छह बेटों समेत कुल 20 लोगों का परिवार घर में जुटता है। बेटों के अपने संघर्ष हैं। बेटियों को भी जीवन से उन्‍हें वह नहीं मिला, जो वह चाहती थीं। फिल्म में बहुत ही करने से दिखाया गया है।

फिल्म में दिखाया गया कि रामप्रसाद भार्गव (Ramprasad Bhargav) भी अपने लंबे चौड़े परिवार से अपने मन की बात खुल कर जाहिर नहीं कर सके। नतीजतन उनकी औलादों को उनसे जीवनभर शिकायतें रहीं। असल में ऐसे हालात यहां उनके आपसी कम्युनिकेशन गैप के चलते उत्पन्न होते हैं। यह शायद हर आम भारतीय परिवारों की हकीकत है। परिवार का मुखिया न जाने क्‍यों अपने बच्‍चों से खुलकर प्यार जताने में कोताही करता रहा है।

बहरहाल, इस सूरत में भी रामप्रसाद भार्गव की सभी संतान अलग-अलग शहरों से अपने पैतृक घर जुटते हैं। पिता को भावभीनी श्रद्धांजलि देने की बजाय पिता ने उनके लिए क्‍या नहीं किया, उस पर बहस होती रहती है। इस हाल में भी उन्‍हें अपनी मां की चिंता जरा कम रहती है।

हालांकि, सीमा पाहवा (Seema Pahwa) के निर्देशन की खूबी यह है कि उन्‍होंने किसी एक पक्ष को विलेन नहीं बनने दिया है। सब अपनी अपनी जगहों पर सही लगते हैं। क्लेश की वजह हालात हैं। बहुओं पर जरूर सीमा पाहवा ने क्रिटिकल अप्रोच रखा है। वो जरा खुदगर्ज नजर आई हैं। वैसा सास-ससुर को लेकर उनके पूर्वाग्रहों के चलते भी है। बहरहाल, 13 दिन गुजरते हैं और सब अपने-अपने सबक लेकर अपनी-अपनी कर्मभूमि को कूच करते हैं।

भार्गव परिवार के मातम के माहौल में भी ढेर सारी सिचुएशनल कॉमेडी हैं। कुछ भी थोपी हुई नहीं लगती। फिल्‍म के मूड को सागर देसाई ने अपने संगीत से जस्टिफाई किया है। सुदीप सेनगुप्‍ता के कैमरे ने ऐसे परिवारों में छिपकर होने वाली बातों को बखूबी कैप्‍चर किया है।

सुप्रिया पाठक, मनोज पाहवा, निनाद कामथ, पर‍ंब्रत चट्टोपाध्याय, दीपिका अमीन, बृजेंद्र काला, महेश शर्मा, राजेंद्र गुप्‍ता, विक्रांत मैसी, कोंकणा सेन शर्मा, विनीत कुमार, सादिया सिद्दीकी, दिव्या जगदाले, दीपिका अमीन समेत सभी कलाकारों की अदायगी धारदार है। सभी ने रामप्रसाद भार्गव के परिवार वालों का रोल प्‍ले किया है। खुद रामप्रसाद के तौर पर नसीरुद्दीन शाह का कैमियो है। फिल्म में लगभग सभी कलाकारों में बेहतरीन अभिनय किया है।

सीमा पाहवा (Seema Pahwa) ने दर्शकों के लिए अलग माहौल में कॉमेडी, ड्रॉमेडी और ट्रैजेडी गढ़ी है। लोग अब तक राजश्री और धर्मा प्रोडक्शंस की फील गुड, ज्वेलरी से लदी सास-बहुओं की फिल्‍में देखते रहे हैं, नए साल में बारी अब मनीष मुंद्रा के बैनर की इस फिल्‍म को देखने की है। कलाकारों की फौज के बावजूद फिल्‍म में काफी कसावट है।

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