‘बिहारियत’ को लेकर चेतन भगत व सिद्धार्थ मल्होत्रा से लड़ चुकी नीतू चंद्रा अब अश्लीलता के खिलाफ लड़ रहीं जंग
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‘बिहारियत’ को लेकर चेतन भगत व सिद्धार्थ मल्होत्रा से लड़ चुकी नीतू चंद्रा अब अश्लीलता के खिलाफ लड़ रहीं जंग

Bollywood Actress Neetu Chandra in Bihar Police Headquarter

बिहार में बैठकर हम अपनी मातृभाषा की रिस्पैक्ट नहीं करते। माफ करिएगा, पर यही सच है। जब तक बिहार का एजुकेटेड क्लास इस बात का विरोध नहीं जताएगा कि ‘न बजाएंगे, न बजने देंगे’, ‘न देखेंगे, न दिखाएंगे’, ‘न सुनेंगे, न सुनाएंगे’, तब तक समाज में रेबदलाव नहीं आयेगा। अश्लील व द्विअर्थी गानों का पुरजोर बॉयकॉट होना चाहिए। बॉलीवुड अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने कहा, जब ऐसी फिल्में थियेटर में जाकर लोग देखना बंद करेंगे, तभी बदलाव होगा।

अश्लील गानों के सार्वजनिक प्रसारण को रोकने के लिए हाल ही में बिहार पुलिस ने एक मुहिम चलाई है। इस मुहिम में पुलिस का साथ दे रही हैं बॉलीवुड अभिनेत्री नीतू चंद्रा। पिछले दिनों बिहार की महिला पुलिसकर्मियों के आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पटना आई नीतू चंद्रा से इस मसले पर लंबी बातचीत हुई। नीतू का कहना है कि इस अभियान का एक बड़ा मकसद महिला सुरक्षा है, क्योंकि महिलाओं के खिलाफ होने वाले ज्यादातर अपराधों की जड़ ये अश्लील गाने और ऐसी फिल्में ही हैं। ऐसे गाने बंद होंगे तो बिहार में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध में भी कमी आएगी। बिहार की भाषाओं में कितने खराब और डबल मीनिंग गाने गाए जा रहे हैं, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।

अभिनेत्री नीतू चंद्रा कहती हैं कि हमें ऐसे द्विअर्थी गानों और फिल्मों के खिलाफ अब मिलकर खड़ा होना पड़ेगा। आपको याद होगा, महाराष्ट्र में दादा कोड़के की फिल्में आती थीं, डबल मीनिंग वाली। लोग इतने परेशान हो गए थे कि उनके पोस्टर फाड़ने लगे। आज उसी महाराष्ट्र की फिल्में ऑस्कर में जा रही हैं। कोंकणी फिल्में, जिन्हें बोलने वाले बहुत कम लोग हैं, वे ऑस्कर में जा रही हैं। साउथ की फिल्में तो भूल ही जाइए, वैसा होने में बीस साल लगेगा। बगल में बंगाल है, वहां के हर डायरेक्टर के पास सात से दस नेशनल अवार्ड हैं। कब तक झुकेंगे हम, कब तक नहीं बोलेंगे। अगर नहीं बोलेंगे तो बिहार की पहचान ऐसे ही गाने हो जाएंगे, आपके सुनहरे इतिहास को लोग भूल जायेंगे।

बातचीत के क्रम में अभिनेत्री नीतू चंद्रा कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि बिहार में ही लोग अपनी भाषा को बदनाम कर रहे हैं। आज आप किसी भी शो में चले जाइए, सबमें जाने की फीस तय होती है। पर, वहां जाकर आप अपनी ही मां और मातृभाषा को उछाल रहे हैं, जो किसी हाल में स्वीकार्य नहीं है। यह पहली बार नहीं है, जब मैं यह बात कर रही हूं। चेतन भगत ने अपने उपन्यास ‘हाफ ब्वॉयफ्रैंड’ में बिहार के लड़कों के बारे में लिखा था कि उन्हें न कपड़े पहनना आता है, न चलना आता है, न बोलना आता है। वे तो ‘हाफ गर्लफ्रैंड’ ही डिजर्व करते हैं। मेरी चेतन भगत से लड़ाई हो गई और उसके चलते दो-तीन फिल्में भी चली गईं। यही नहीं, उसके बाद मैंने सिद्धार्थ मल्होत्रा से भी लड़ाई की थी। आज से छह-सात साल पहले बिग बॉस के मंच पर वे अपनी फिल्म को प्रोमोट करने के लिए गए। सलमान (खान) सर ने कहा – ‘सिद्धार्थ, मैं एक डायलॉग बोलूंगा तुम उसे भोजपुरी में रिपीट करो।’ इसपर सिद्धार्थ ने कहा कि, ‘भोजपुरी बोलने से मुझे ऐसा फील होता है कि मैं बाथरूम में बैठा हूं।’ कौन से अच्छे घर के लोग ऐसा बोल सकते हैं? आपके संस्कार क्या यही हैं?

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