ऐसे थे सुशांत सिंह राजपूत: ‘छिछोेरे’ में बिना ग्लिसरीन लगाए किया इमोशनल सींस
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ऐसे थे सुशांत सिंह राजपूत: ‘छिछोेरे’ में बिना ग्लिसरीन लगाए किया इमोशनल सींस

Sushant Singh Rajput in Nationa Film Award Film Chhichhore-Filmynism

बाॅलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) अब इस दुनिया में नहीं हैं, पर उनके काम और उनकी अच्छाई अब भी जिंदा है। सुशांत के साथ काम करने वाले हों या उन्हें जानने वाले, अब तक उस शख्स को भूल नहीं पाए हैं। 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों (National Film Awards) में ‘छिछोरे’ (Chhichhore) को सर्वश्रेष्ठ फिल्म से नवाजा गया, इसके बाद एक बार फिर एसएसआर की तारीफ होने लगी है। छिछोरे के फिल्म मेकर नितेश तिवारी (Nitesh Tiwari) कहते हैं कि आज सुशांत हमारे साथ होते तो इस सम्मान की अहमियत बढ़ जाती।

अपनी फिल्म ‘छिछोरे’ (Chhichhore) को नेशनल अवार्ड (National Film Awards 2020) मिलने पर नितेश तिवारी (Nitesh Tiwari) इमोशनल हो गए। इस खुशी को जाहिर करते हएु उन्होंने कहा कि यह नेशनल अवॉर्ड तो सुशांत (Sushant Singh Rajput) को ही डेडिकेट करना चाहूंगा। वह हम सबके बीच होते तो यह अवॉर्ड और खास हो जाता। मैं फिल्मों को काॅमर्शियल या आर्ट कैटेगरी के नजरिए से नहीं देखता। फिल्म या तो अच्छी होती है या वो बुरी होती हैं। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद यह कहना कि ‘छिछोरे’ तो कमर्शियल फिल्म है, फिर भी उसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। यह कहना जायज नहीं होगा।’

सक्सेस के बाद का प्लान सबके पास है, लेकिन अगर गलती से फेल हो गए तो फेलियर से कैसे डील करना है, कोई बात ही नहीं करना चाहता है।

नितेश तिवारी (Nitesh Tiwari) कहते हैं कि ‘इसे अगर बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला है तो यकीनन ज्यूरी को इसकी एडिटिंग, साउंड, डायरेक्शन, म्यूजिक, एक्टिंग हर कुछ इन टोटैलिटी में पसंद आया होगा। हालांकि इसका एग्जैक्ट सही जवाब तो माननीय ज्यूरी ही दे सकेगी, जिन्होंने यह कॉल लिया है।’ बता दें कि इस बार नेशनल अवाॅर्ड दिए जाने पर कई लोगों ने आपत्ति जताई है। कई लोगों ने इस अवाॅर्ड को गलत बताया है। उनलोगों का मानना है कि नेशनल अवाॅर्ड में भी अब गुटबाजी जैसी चीज होने लगी है।

‘सच्चे दोस्त वही होते हैं…जो अच्छे वक्त में आपकी बजाते हैं और जब मुश्किल वक्त आता है तो वही छिछोरे आपके दरवाजे पर खड़े नजर आते हैं’

‘छिछोरे’ (Chhichhore) को याद करते हुए नितेश कहते हैं कि सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मेहनत तारीफ के काबिल थी। मुझे उनकी जो चीज सबसे जुदा लगी, वह थी उनके कैरेक्टर प्रिपरेशन का तरीका। उनकी एक पर्टिकुलर मेथडोलॉजी थी। नितेश (Nitesh Tiwari) ने कहा कि एक यंग अन्नी के लिए और एक ओल्ड एज अन्नी के बिहेवियर पैटर्न तैयार किए। सबसे बड़ी बात पूरी फिल्म में उन्होंने कभी ग्लिसरीन यूज नहीं किया। इसके बावजूद कि फिल्म में उनका किरदार ढेरों बार इमोशनल होता है। उसका ब्रेक डाउन होता है। समझा जा सकता है कि अंदर से वो कितने इमोशनल इंसान थे। सुशांत के बारे में कोई भी कह ले, पर मेरा मानना है कि वे सच्चे दिल के बेहतर इंसान थे और ऐसा उनके फैंस भी मानते हैं।

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