अगर आप बिहार की राजनीति के बारे में जानते हैं और थोड़ा-बहुत वहां के पाॅलिटिशयंस के बारे में भी पता है, तो अस्सी के दशक में हुआ ‘बाॅबी हत्याकांड’ (Bobby Murder) जरूर पता होगा। अगर नहीं पता है, तो कोई बात नहीं, जल्द ही इस पर एक फिल्म बनने जा रही है। वही बॉबी, जिसकी संदिग्ध मौत ने 1983 में बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में बवंडर ला दिया था। इस घटना के बाद कई दिग्गज राजनेताओं के गिरेवान की ओर पुलिस के बढ़ते हाथ रोकने के लिए दर्जनों विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को सरकार गिराने की चेतावनी तक दे डाली थी। बाॅबी यानी श्वेत निशा त्रिवेदी (Shwetnisha Trivedi) की सच्ची कहानी आपको ‘राजनीति का असल रंग’ दिखाएगी।
बता दें कि बॉबी यानी श्वेतनिशा त्रिवेदी (Shwet Nisha Trivedi) की रहस्यमयी मौत सात मई, 1983 को हुई थी। कहा जाता है कि यह खबर तब के प्रमुख अखबार ‘आज’ और ‘प्रदीप’ ने नहीं छापी होती, तो बॉबी की रहस्यमयी मौत की कहानी सियासी गलियारे में ही दब कर रह जाती। मौत के तीन दिन बाद बॉबी की रहस्यमयी मौत की खबर ‘आज’ की सुर्खियों में रही। पहले पन्ने पर खबर ‘बॉबी की मौत से पटना में सनसनी’ शीर्षक से छपी थी। तब, किशोर कुणाल (Kishore Kunal) पटना के एसएसपी हुआ करते थे। अखबार में छपी खबर के आधार पर ही प्राथमिकी दर्ज हुई। हालांकि, संदिग्ध हालात में बॉबी की मौत (Bobby Murder Mystery) की छोटी सी खबर उस समय के एक और हिंदी अखबार में छपी थी। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस ने मामले की तहकीकात शुरू की। पुलिस की जांच किसी बड़े सेक्स स्कैंडल के खुलासे की ओर बढ़ रही थी। कई राजनेताओं को पुलिस उठाने वाली थी। जब, किशोर कुणाल को रोक पाना संभव नहीं हुआ, तो उनके बढ़े हाथ रोकने के लिए मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया।
बॉबी यानी श्वेत निशा त्रिवेदी को 1978 में विधानसभा सचिवालय में टेलीफोन ऑपरेटर की नौकरी मिली थी और बाद में वह टाइपिस्ट हो गई। कहते हैं कि दिखने में बॉबी इतनी खूबसूरत थी कि जो भी उन्हें देखता कुछ समय के लिए अपनी नजरें उनसे नहीं हटा पाता। इसी वजह से कई राजनेता के साथ उनकी घनिष्ठ मित्रता हो गई। बॉबी शादीशुदा थी। पहली शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चली और दूसरी शादी से दो बच्चे थे।
बिहार की राजनीति में भूचाल लाने वाले उसी बाॅबी हत्याकांड (Bobby Murder Mystery) को अब पर्दे पर लाने की तैयारी चल रही है। बॉलीवुड की एएमजे एंटरटेनमेंट एंड रॉक सॉल्ट प्रोडक्शन बाॅबी हत्याकांड पर फिल्म बना रहे हैं। फिल्म का नाम है-‘द बॉबी स्कैंडल’ (The Bobby Scandal)। अर्जुन बुंदेला, मिहिर ठाकरे, जेवंत ठाकरे, पूजा पहुजा, अल्ताफ खान और प्रीति जैन इसके निर्माता हैं। इसके रचनात्मक निर्माता आलोक भारती और सह-निर्माता आंनद मुरुग्कर हैं। इस फिल्म के निर्देशक हैं अभिनव ठाकुर। खबर है कि इस फिल्म में बॉलीवुड के कई फेमस चेहरे होंगे। अभिनव ठाकुर बिहार पर केंद्रित फिल्म ‘द लिपिस्टिक बॉय’ को लेकर इन दिनों सुर्खियों में हैं। केरल की घटना पर आधारित उनकी अपकमिंग फिल्म ‘बैक वाटर’ को लेकर भी वह चर्चा में हैं। बता दें कि अभिनव इससे पहले उनकी रिलीज फिल्मों में ‘जुनको’, ‘रंगमंच’ एवं ‘ये सुहागरात इम्पॉसिबल’ पसंद की जा चुकी है।
बिहार का बॉबी हत्याकांड (Bihar’s Bobby Murder Case) भारतीय पाॅलिटिशियंस द्वारा महिलाओं के यौन शोषण से जुड़े उन हाईप्रोफाइल मामलों में से है एक है, जिसे सुर्खियां तो खूब मिलीं, पर मामले की जांच कभी अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंची। बॉबी यानी श्वेतनिशा त्रिवेदी बिहार विधानसभा में टेलीफोन ऑपरेटर के पद पर कार्यरत थी। कहा जाता है कि दिखने में बेहद आकर्षक और महत्वकांक्षी इस महिला की पटना के कई राजनीतिज्ञों से मित्रता थी। वह महत्वाकांक्षी भी बहुत थी। कहा जाता है कि इसी वजह से कई राजनेता के साथ उसकी घनिष्ठ मित्रता हो गई।
बॉबी (Bobby) का वास्तविक नाम श्वेतनिशा त्रिवेदी (Shwet Nisha Trivedi) था और उन्हें लोग ‘बेबी’ भी कहा करते थे। श्वेतनिशा बिहार विधान परिषद की तत्कालीन सभापति राजेश्वरी सरोज दास (Rajeshwari Saroj Das) की दत्तक पुत्री थीं। बेबी बिहार विधानसभा सचिवालय में टाइपिस्ट थीं। रहस्यमयी मौत के बाद वह खबरों में बेबी से बॉबी इसलिए बना दी गयीं, क्योंकि दस साल पहले आयी राजकपूर की फिल्म ‘बॉबी’ का जादू युवाओं के दिल-ओ-दिमाग पर छाया हुआ था।
1983 में बॉबी की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत के बाद उसे चुपचाप एक कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया था। बिहार में तब कांग्रेस की सरकार थी और जगन्नाथ मिश्र मुख्यमंत्री थे। उस समय युवक कांग्रेस के कुछ नेताओं सहित बिहार विधानसभा के अध्यक्ष राधानंदन झा के बेटे, रघुवर झा पर भी यह आरोप लग रहा था कि वह बॉबी की कथित हत्या में शामिल है। श्वेतनिशा को गोद लेने वाली राजेश्वरी सरोज दास ने ईसाई धर्म अपना लिया था, इसलिए शव को दफनाया गया था। ऐसे में पटना के तत्कालीन डीएम आरके सिंह ने दुबारा पोस्टमॉर्टम का निर्देश दिया। आरके सिंह अब बीजेपी के नेता हैं। दूसरी बार की रिपोर्ट में जहर देकर मारने की बात सामने आई।