मैं तो कोरोना की गिरफ्त से निकल गई, पर आप बचके रहना
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मैं तो कोरोना की गिरफ्त से निकल गई, पर आप बचके रहना

Veena Jain from London

लंदन से मधु चौरसिया की रिपोर्ट।
कोरोना वायरस (Coronavirus) की महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। कोई ऐसा देश में जहां कोरोना पाॅजिटिव (Corona Positive) न हों या जहां इसके कारण किसी की जान न गई हो। अब तक के आंकड़ों के अनुसार पूरे विश्व में अब तक कोरोना वायरस कोविड-19 (COVID-19) के कारण 34 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं सवा सात लाख से ज्यादा लोग पीड़ित हैं। हालांकि इस समय भी कई ऐसे लोग हैं, जो पाॅजिटिव होने के बाद भी स्वस्थ हो रहे हैं, उन्हीं में से एक जाबांज महिला हैं लंदन में रहने वाली भारतीय मूल की वीणा जैन।

लंदन में रहनेवाली वीणा जैन (Veena Jain) अमृतसर से ताल्लुक रखती हैं। वीणा का जन्म लंदन में ही हुआ है। लंदन में वे एक डांस परफॉरमेंस डायरेक्टर हैं। वीणा को कोरोना वाइरस (Veena Jain) का संक्रमण डांस क्लास के दौरान हुआ। वायरस के अटैक की बात करती हुईं वीणा कहती हैं कि मार्च की बात है, मैं डास क्लास में थी, लंडन में मेरा ग्रुप डांस की प्रैक्टिस कर रहा था। मेरे डांस ग्रुप में तकरीबन 55 सदस्य हैं। डांस खत्म होते ही ग्रुप के कुछ सदस्यों ने खुशी से मुझे गले लगाया, मुझे लगता है संक्रमण वहीं से शुरू हुआ। मैं घर वापस आई उस दिन तो सब ठीक था, लेकिन 3 से 4 दिन बाद मुझे काफी खांसी होने लगी, लगातार मुझे 109 डिग्री बुखार रहने लगा, मुझे काफी कमजोरी महसूस होने लगी, मुझे हर वक्त माॅर्निंग सिकनेस जैसा महसूस होता था।
वीणा कहती हैं कि मैं खाना तक नहीं खा पा रही थी। ऐसा कुछ दिनों तक चलता रहा, लेकिन धीरे धीरे मैं और कमजोर होने लगी।

एक दिन तो मैं बाथरूम में बेहोश होकर गिर पड़ी। मुझे काफी पसीना आ रहा था। मुझे काफी उल्टियां हुईं। मेरे बेटे ने मुझे हर वक्त संभाला। सातवें दिन फिर मैं दो बार बेहोश होकर गिर गई। मुझे अब सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी। मेरे पांव में लगातार ऐंठन सा महसूस होता था। आठवें दिन तक भी मुझे काफी तेज बुखार रहा और मुझे डायरिया भी होने लगा। मैं मुश्किल से आखें खोल पा रही थी।

15 मार्च को मैंने यहां के अस्पताल में फोन किया, मैंने अपनी परेशानी बताई, लगातार 2 घंटे वो फोन पर मेरी जानकारी लेते रहे और सारे लक्ष्ण उन्हें कोरोना की और इशारा कर रहे थे। फिर उन्होंने बताया कि आप कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) हैं इसलिए आपको लगातार 7 दिनों तक सेल्फ आइसोलेशन (Self Isolation) में रहना होगा। मैं अपने घर की चारदीवारी में बंद रहने लगी। मेरा बेटा हमेशा 2 मीटर की दूरी से मुझे खाना देता और दरवाजा बंद कर देता। 6 दिन तक लगातार ये सिलसिला चलता रहा। यह कहते-कहते वीणा अचानक चुप हो गईं और कहने लगीं कि एक दिन तो मैं बाथरूम में बेहोश होकर गिर पड़ी। मुझे काफी पसीना आ रहा था। मुझे काफी उल्टियां हुईं। मेरे बेटे ने मुझे हर वक्त संभाला। सातवें दिन फिर मैं दो बार बेहोश होकर गिर गई। मुझे अब सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी। मेरे पांव में लगातार ऐंठन सा महसूस होता था। आठवें दिन तक भी मुझे काफी तेज बुखार रहा और मुझे डायरिया भी होने लगा। मैं मुश्किल से आखें खोल पा रही थी। मुझे सबकुछ धुंधला दिखाई दे रहा था। मुझे तेज रौशनी से परेशानी हो रही थी। मैं पानी तर नहीं पी पा रही थी, मेरा पूरा सिस्टम जैसे हिल गया था।
वीणा ने कहा कि मेरे पति ने एंबुलेंस बुलाई मुझे अस्पताल ले जाया गया वहां नर्स ने मेरी जांच की, मेरा ब्लड प्रेशर काफी कम हो गया था। मेरा (इसीजी) किया गया, बुखार मापा गया। 4 ब्लड सैंपल लिए गए, मुझे इंजेक्शन दिया गया। मुझे आईसोलेटेड वार्ड में रखा गया। डॉक्टर या नर्स पूरी तैयारी के साथ मेरे कमरे में आते थे और मेरा चेकअप करते थे। मुझे दो बोतल ड्रीप लगाया गया। फ्लूइड शरीर में जाने के बाद मुझे थोड़ी राहत महसूस होने लगी। मुझे बहुत नींद आने लगी। खांसी में भी थोड़ी कमी आई और अब मुझे थोड़ा साफ दिखना शुरू हुआ। मैं एक दिन अस्पताल में रही उसके बाद ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट आई, जिसे देख डॉक्टर ने कहा तुम्हारा ब्लड काउंट काफी अच्छा है। ये वाइरस से लड़ रहा है। तुम जल्दी ठीक हो जाओगी। अब तुम घर जा सकती हो। मैं वापस घर आ गई। लेकिन मुझे पूरी तरह ठीक होने में 2 से तीन दिन और लग गए।

दरअसल आपका दिमाग यदि आपको हमेशा सकारात्मक सिग्नल भेजे तो आप किसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम हो सकते हैं। इस बीच जो खास बात रही वो मेरा इम्यून सिस्टम काफी हद तक मेरा साथ दे रही थी। मैं ज्यादा से ज्यादा फ्लूइड लेने की कोशिश करने लगी थी। पहले मुझे पानी तक टेस्टलेस लगता था। लेकिन मैं बस संतरा और नीबू पानी लगातार लेती रही।

अस्पताल में इलाज की बात करती हुईं वीणा ने बताया कि इसमें मुझे खासी की रोकथाम के लिए कफ सीरप दिया गया और पारासिटामॉल दिया जाता था। अस्पताल में मुझे काफी पेशेवर तरीके से देखभाल की गई। मुझे ग्लुकोज लगाया गया जिससे मेरी हालत में धीरे धीरे सुधार होने लगा। इस बीमारी को मैंने अपने दिमाग से हराया। दरअसल आपका दिमाग यदि आपको हमेशा सकारात्मक सिग्नल भेजे तो आप किसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम हो सकते हैं। इस बीच जो खास बात रही वो मेरा इम्यून सिस्टम काफी हद तक मेरा साथ दे रही थी। मैं ज्यादा से ज्यादा फ्लूइड लेने की कोशिश करने लगी थी। पहले मुझे पानी तक टेस्टलेस लगता था। लेकिन मैं बस संतरा और नीबू पानी लगातार लेती रही। इस रोग की दवाई बस आपका होसला और पारासिटामॉल है। बाकी कोई जादुई छड़ी काम नहीं आती है। मैं अपनी बीमारी के दौरान खुद को एक फाइटर की तरह देख रही थी और हार नहीं मानने की जिद पर हमेशा अड़ी रही।
वीणा जैन (Veena Jain) कहती हैं कि भारत एक विकसित देश है और दुनिया की निगाहें भारतीय वैज्ञानिकों पर टिकी हैं, पर यहां की समस्या यहां की जनसंख्या भी है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। गरीबों को यदि लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान नमक, दाल, एक बोरा चावल और आटा जन जन तक मुहैया कराया जाए तो लोग सड़कों पर नहीं उतरेंगे और इस कोरोना के चेन को तोड़ना आसान होगा। पूरे देश को मिलकर काम करना होगा तभी हम यह जंग जीत पाएंगे।

कोरोना के कहर से ऐसे बचें

  • घर की चारदीवारी में आप सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं।
  • जब तक बेहद आवश्यक न हो, घर से कुछ दिनों के लिए न निकलें।
  • लगातार अपने हाथ साफ करते रहें।
  • चेहरे को बिना हाथ थोए न छुएं।
  • घर की साफ सफाई का पूरा घ्यान रखें।
  • किसी के संपर्क में न आएं और हमेशा लोगों से 2 मीटर की दूरी बनाए रखें।
  • सरकार द्वारा दी गई जानकारी का पालन करें।
  • बुजुर्गों की हिफाजत के लिए उनके संपर्क में कम से कम आने की कोशिश करें।
  • तरल पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें और खुद को हाइड्रेटेड रखें।
  • विटामिन सी युक्त फलों का सेवन करें
  • अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है।
  • तनावमुक्त रहने की कोशिश करें।

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