दिल बेचारा Review: रोते हुए हंसना सिखा गये सुशांत सिंह राजपूत
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दिल बेचारा Review: रोते हुए हंसना सिखा गये सुशांत सिंह राजपूत

Dil Bechara : Sushant Sing Rajput

अभिषेक मिश्रा, पटना।
ऐसी कहानियां किसी को पसंद नहीं होती, जिसमें ‘एक था राजा एक थी रानी, दोनों मर गये खतम कहानी’ वाली फीलिंग होती हो। आपने भी ना जाने कितनी बार ऐसी कहानियां सुनी होंगी। आपने OTT के बारे में भी सुना होगा। अभी तो हमारा हीरो बिहार से मुंबई पहुंचा था। आज OTT पर अपने हीरो को देखता जा रहा हूं।

एमैनुएल राजकुमार जूनियर उर्फ़ मैनी (सुशांत सिंह राजपूत) और ‌उनकी काउंटरपार्ट किज़ी बासु (संजना सांघी) की फिल्म ‘दिल बेचारा’ है। फिल्म में दिल तो बेचारा नहीं है, उसे जीने की ज़िद है, किज़ी बासु को जिताने की ज़िद है, हमें रोता हुआ हंसना सिखाने की ज़िद भी है। सुशांत ने परफॉर्मेंस का बेंचमार्क तय कर दिया है।

साल 2012 में जॉन ग्रीन की नॉवेल आई थी ‘द फाल्ट इन आवर स्टार्स’ और 2014 में नॉवेल बेस्ड हॉलीवुड मूवी बनी। हमारी आंखों के ठीक सामने चल रही मूवी ‘दिल बेचारा’ नॉवेल की हिंदी रीमेक है। कैंसर से जूझती किज़ी बासु और ज़िंदगी जीने की सीख देता अपना हीरो।

Sushant Singh Rajput in Dil Bechara

फिल्म में सुशांत की एंट्री कूल और मजेदार अंदाज़ में दिखाई गई है। ठीक उनकी पर्सनल लाइफ के जैसी। सीरियल किलर और सीरियल किसर के अंतर को बताता हीरो। किज़ी को अधूरा सपना पूरा करना है। मददगार सुशांत सिंह राजपूत हैं। पहले किज़ी बासु को जीने की ललक नहीं थी। अब, सुशांत के लिए जीने लगी है किज़ी। एक सीन में सुशांत सिंह राजपूत की हालत बिगड़ती है और आपको लगेगा आपकी हालत खराब है।

फिल्म में ए आर रहमान का संगीत है। गाने लाजबाव हैं। डांस और ड्रामा भी जबरदस्त है। फिल्म देखते हुए आंखों में नमी होती है। अफसोस होता है कि हम फिल्म देख क्यों रहे हैं? सुशांत एक्टर नहीं परफॉर्मर हो चुके हैं। अफसोस कि ‘दिल’ तो ‘बेचारा’ है और सुशांत की ‘यादों’ का ‘मारा’ भी। हमारा हीरो स्क्रीन पर नज़र आता है, जबकि हकीकत में वो रील और रियल लाइफ में बहुत दूर जा चुका है।

फिल्म में सबकुछ है। ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ और ‘छिछोरे’ के मीलों आगे से ‘दिल बेचारा’ में सुशांत ने एक्टिंग शुरू की है। एक्टिंग का लेवल, उनके एक्सप्रेशन्स और कंप्लीट परफॉर्मेंस समझने के लिए ‘दिल बेचारा’ देखिए। आप समझ जाएंगे कि ‘हमारा हीरो’ क्या होता है। अफसोस सुशांत फिल्म ‘दिल बेचारा’ में जीना सिखाकर रोता छोड़ गये। वी लव यू… आजा यार वापस।

Sushant Sing Rajput….Forever!

गाने लाजबाव हैं। डांस और ड्रामा भी जबरदस्त है। फिल्म देखते हुए आंखों में नमी होती है। अफसोस होता है कि हम फिल्म देख क्यों रहे हैं? सुशांत एक्टर नहीं परफॉर्मर हो चुके हैं। अफसोस कि ‘दिल’ तो ‘बेचारा’ है और सुशांत की ‘यादों’ का ‘मारा’ भी।

Filmynism’s Quick Response on ‘दिल बेचारा’
रेटिंग :
हमारे बूते के बाहर है। फिर भी 5 में 5 है।
कास्ट : सुशांत सिंह राजपूत (एमैनुएल राजकुमार जूनियर उर्फ मैनी), संजना सांघी (किज़ी बासु), सैफ अली खान (आफताब खान)
डायरेक्टर : मुकेश छाबड़ा
स्क्रीनप्ले : सुप्रोतिम सेनगुप्ता और शशांक खेतान
म्यूजिक : ए आर रहमान
क्यों देखें : बॉलीवुड की मसाला फिल्म्स से दूर रियल लाइफ परफॉर्मेंस के लिए।
प्लस पॉइंट : हमें कुछ भी माइनस नहीं मिला है। सबकुछ हम नहीं बताएंगे। ‘दिल बेचारा’ देखिए और फक्र महसूस करिए कि आप सुशांत सिंह राजपूत के रियल फैन हैं।

(लेखक प्रिंट के पत्रकार हैं तथा फिल्म व साहित्य पर हमेशा लिखते-पढ़ते रहते हैं।)

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