हिंदी सिनेमा के जाने माने अभिनेता फिरोज खान का 27 अप्रैल 2009 को निधन हो गया था। कैंसर की असाध्य स्थिति से जूझ रहे फिरोज खान ने अपनी आखिरी सांस बंगलौर स्थित अपने फार्म हाउस में ली थी। वर्ष 1960 में दीदी फिल्म से अपना सफर शुरू करने वाले फिरोज खान ने न सिर्फ अभिनय किया बल्कि बतौर निर्देशक भी सिनेमा में अपनी पारी खेली थी।
फिल्म आदमी और इंसान के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने वाले फिरोज खान ने उंचे लोग, मैं वही हूं, अपराध, उपासना, मेला और आग जैसी फिल्मों से एक अलग पहचान बनाई। वहीं फिल्म धर्मात्मा, जांबाज, कुर्बानी, दयावान जैसी फिल्मों ने उन्हें शोहरत दिलाई। लगभग पांच दशक का फिल्मी सफर तय करते हुए फिरोज खान आखिरी बार 2007 में फिल्म वेलकम में नजर आए थे। फिल्म में फिरोज खान का अनोखा अंदाज दर्शकों को काफी पसंद आया था।
पठान पिता और ईरानी मां के घर में 25 सितंबर 1939 को फिरोज खान का जन्म हुआ था। फिरोज खान के तीन और भाई भी फिल्मों की दुनिया से जुड़े रहे। एक भाई संजय खान, दूसरे अकबर खान और तीसरे समीर खान। जहां संजय और अकबर ने अभिनय में हाथ आजमाए, तो वहीं समीर फिल्म निर्माता बने। याद दिला दें कि संजय खान की बेटी व फिरोज खान की भतीजी सुजैन की शादी ऋतिक रोशन से हुई थी लेकिन कुछ साल पहले दोनों ने तलाक ले लिया था। हालांकि अब भी दोनों अच्छे दोस्त हैं।
फिरोज खान उस वक्त काफी सुर्खियों में आ गए थे जब उन्होंने पाकिस्तान की यात्रा के दौरान एक बयान दे दिया था। इसके बाद पाकिस्तान की सरकार ने उन पर हमेशा के लिए पाकिस्तान आने पर पाबंदी लगा दी थी। दरअसल एक कार्यक्रम में फिरोज खान से भारत में मुसलमानों की खराब हालत को लेकर सवाल किया गया था।
फिरोज ने अपने जवाब में कहा था, ‘भारत धर्म निरपेक्ष देश है। हमारे यहां मुसलमान प्रगति कर रहे हैं। हमारे राष्ट्रपति मुस्लिम हैं, प्रधानमंत्री सिख हैं। जबकि पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर बना था, लेकिन देखिए यहां उन (मुसलमानों) की कैसी हालत है।’
इसके बाद फिरोज खान ने कहा था, ‘यहां मैं खुद से नहीं आया हूं। मुझे यहां आने के लिए निमंत्रण दिया गया था। हमारी (भारतीय) फिल्में इतनी प्रभावशाली होती हैं कि आपकी सरकार उसे ज्यादा वक्त के लिए रोक नहीं सकतीं।’
गौरतलब है कि जिस वक्त फिरोज ने ये बातें कही थी, उस वक्त मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे और राष्ट्रपति के पद पर एपीजे अब्दुल कलाम थे।