हिन्दी सिनेमा अब कहानियों को कहने का तरीका बदला है। जहाँ पहले दो घंटे की फिल्म हुआ करती थी वहीँ आज कई लघु कहानियों को एक साथ दिखाया जा रहा है। जिन्हें एंथोलॉजी फिल्म कहते हैं। इन दिनों फिल्ममेकर्स भी ऐसी फिल्मों में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं। इसमें अलग-अलग शॉर्ट फिल्मों का संकलन होता है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म आने के बाद नेटफ्लिक्स पर ‘लस्ट स्टोरीज’, ‘घोस्ट स्टोरीज’ आईं। हालांकि इससे पहले भी ‘डरना मना है’, ‘दस कहानियां’, ‘बांबे टॉकीज’, ‘आई एम’, ‘मुंबई कटिंग’ जैसी कई एंथोलॉजी फिल्में बन चुकी हैं।
एंथोलॉजी फिल्मों के संदर्भ में बिजॉय कहते हैं, ”पहले दूरदर्शन पर ‘विक्रम और बेताल’ समेत कई धारावाहिक आते थे। उनमें हर एपिसोड एक नई कहानी का ही होता था। हम ऐसी कहानियों को पहले से देखते आ रहे हैं। बस फॉर्मेट बदल रहा है। नए निर्देशक और कलाकार उनमें काम कर रहे हैं। मुझे शॉर्ट कहानियां आकर्षित करती हैं।
वही एंथोलॉजी फिल्मों में नामी गिरामी से लेकर नए कलाकार भी काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं अमेजॉन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स और हॉट स्टार पर उपलब्ध है। कोरोना काल में दर्शकों का झुकाव डिजिटल कंटेंट की ओर हुआ है।
आने वाली कुछ नए प्रोजेक्ट की बात करें तो बीते दिनों जी-5 पर ‘फारबिडन लव’ आई। अब अनुराग बासु निर्देशित फिल्म ‘लूडो’ दर्शकों के बीच आ रही है। मणिरत्नम भी नौ कहानियों का संग्रह लेकर आ रहे हैं। अनुभव सिन्हा ने कोरोना महामारी की कहानियों और अनुभवों पर आधारित एक एंथोलॉजी फिल्म बनाने की घोषणा की है। इसके लिए उन्होंने चार फिल्ममेकर्स हंसल मेहता, सुधीर मिश्र, केतन मेहता और सुभाष कपूर से हाथ मिलाया है। अनुराग बासु निर्देशित ‘लूडो’ 12 नवंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी।