जनता दल यूनाइटेड (JDU) के पूर्व उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार के रूप में देशभर में अपनी रणनीति का लोहा मनवा चुके प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का मिशन कामयाब होता दिख रहा है। जदयू से निकाले जाने के बाद पीके ने एक तरह से नीतीश सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। गुरुवार से शुरू हुए बात बिहार की (Baat Bihar Ki) मिशन में अब तक देशभर से पौने चार लाख जुड़ चुके हैं। पटना के अब तक चालीस हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। बता दें कि इस कार्यक्रम को पहले दिन से ही बिहार की जनता का जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है।
इधर, महागठबंधन (Mahagathbandhan) के छोटे दलों से राजद-कांग्रेस ने लगभग कुट्टी कर ली है। लालू प्रसाद (Lalu Prasad) मिल नहीं रहे हैं और कांग्रेस (Congress) ने भी भाव देना बंद कर दिया है। इप पार्टियों को अब नई उम्मीद प्रशांत किशोर से है। यही कारण है कि तीनों दलों के शीर्ष नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल रखा है। प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) से गुरुवार को एक दौर की मीटिंग भी हो चुकी है। शुक्रवार को भी शरद यादव के साथ तीनों घटक दलों के शीर्ष नेताओं की फिर बात हुई। इन नेताओं की आगे भी बातचीत होने की उम्मीद है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi), रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) और वीआइपी के मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) पिछले तीन दिन से दिल्ली में जमे हैं। तीनों का प्रयास गठबंधन में किसी तरह सम्मानजनक स्थिति प्राप्त करना है। ये राजद और कांग्र्रेस पर दबाव डालकर ज्यादा से ज्यादा सीटें पाने की जुगत में है। तीनों नेता इसके लिए दिल्ली में रास्ता तलाश रहे हैं।
आपको याद होगा कि दो साल पहले जब प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) उर्फ पीके (PK) को जेडीयू में शामिल किया गया था, तो सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उन्हें भविष्य का लीडर कहा था। अब जब दोनों के बीच राजनीतिक अदावत हो गई और पीके ने भी मोर्चाबंदी की तैयारी कर ली है। हालांकि उनके सीधे निशाने पर सीएम नीतीश न होकर उनके विकास के दावे हैं। पीके ने जब 18 फरवरी को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया तो उन्होंने साफ कर दिया कि वे इसे ही टारगेट करेंगे और नया बिहार बनाने के लिए नए विकल्प की तलाश की बात जनता से करेंगे।
पीके (PK) के तेवर तल्ख हैं और वे लगातार इस कोशिश में हैं कि पूरा विपक्ष एक साथ आए। इस बीच जेडीयू ने भी पीके से निबटने के लिए एक खास रणनीति तैयार कर ली है, और वह है प्रशांत किशोर के किसी भी हमले पर रिएक्ट नहीं करने की रणनीति. जेडीयू के सूत्रों से खबर है कि अब पीके की हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी, लेकिन प्रतिक्रिया से परहेज किया जाएगा. यही वजह है कि इक्के-दुक्के नेताओं को छोड़ दें तो पीके पर हमलावर रुख रखने वाले पार्टी के नेता और प्रवक्ता लगातार खामोश हैं.
दो साल पहले जब प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) उर्फ पीके (PK) को जेडीयू में शामिल किया गया था, तो सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उन्हें भविष्य का लीडर कहा था। अब जब दोनों के बीच राजनीतिक अदावत हो गई और पीके ने भी मोर्चाबंदी की तैयारी कर ली है।
इधर, आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के वरिष्ठ नेता संजय सिंह (Sanjay Singh) ने शुक्रवार को कहा कि अगर राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के नेतृत्व वाली पार्टी आप में शामिल होना चाहते हैं तो पार्टी को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी। संजय सिंह ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर प्रशांत किशोर जी हमसे जुड़ना चाहते हैं, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। अब यह उनका फैसला है कि आना है या नहीं।