प्रतिभा की कोई उम्र नहीं होती या यूं कहें कि जिसे आसमां को चूमना होता है, वह अपना रास्ता खुद ही अख्तियार करता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है सारण, बिहार की बिटिया ज्योत्सना ने। जिस उम्र में लोग मोबाइल, टीवी और गेम में अपना कीमती समय गंवाते हैं, उसी उम्र में ज्योत्सना किताबों के बीच उलझी रही। और सिर्फ उलझी ही नहीं रही, किताबें तक लिख डाली। जी हां, ज्योत्सना की इस प्रतिभा के चर्चे आज सारण से दिल्ली तक में है। अंग्रेजी में ऑब्सेड़ीयन ब्लड की किताब इन दिनों आनलाइन शाॅपिंग साइट अमेजॉन पर धूम मचा रही है।
ज्योत्सना ने नर्सरी से बारहवीं तक की अपनी पढ़ाई सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल, छपरा से की। बिहार से स्कूलिंग करने के बाद वह दिल्ली चली आई और अभी दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित हंसराज कॉलेज की छात्रा है। बता दें कि मेलनोचाॅली द लास्ट परसन के बाद उसने ओसिडियन ब्लड लिखी। हाल में दो और किताब अरडेन्सी तथा द रिवाइवल प्रकाशित हुई है, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं। सारण जिले के जलालपुर प्रखंड के किशुनपुर पंचायत के मानपुर में जन्मी ज्योत्ना शुरू से ही प्रतिभावान थी। ज्योत्सना आईएएस बनना चाहती है।
ज्योत्सना के पिता डाॅ शैलेश गिरी कहते हैं कि मुझे लगता था कि मेरी बेटी अपने लाइफ में बहुत अच्छा करेगी, पर इतनी कम उम्र में ही इतनी तरक्की करेगी यह सपने में भी नहीं सोचा था। मुझे अपनी बेटी पर गर्व है।
ज्योत्सना का बचपन छपरा में ही बीता। उसने छपरा में ही माता पिता के साथ रहकर पढ़ाई की। बेटी की इस उपलब्धि पर डॉ. शैलेश गिरी व रेखा देवी बहुत खुश हैं। ज्योत्सना जिस स्कूल से पढाई की, वहां की प्रातः कालीन सभा में प्राचार्य मुरारी सिंह व प्रबंधक विकास कुमार सिंह ने ज्योत्सना की लिखी किताब का परिचय देते हुए गर्व से कहा कि हमें अपनी स्टूडेंट पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने छात्रों से कहा कि आपलोगों को भी कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे आपके स्कूल को गर्व हो। ज्योत्सना के पिता डाॅ शैलेश गिरी कहते हैं कि मुझे लगता था कि मेरी बेटी अपने लाइफ में बहुत अच्छा करेगी, पर इतनी कम उम्र में ही इतनी तरक्की करेगी यह सपने में भी नहीं सोचा था। मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार के लिए बहुत कुछ किया है, स्पेशली लड़कियों के लिए। उनके अथक प्रयास से ही गांव-घर की लड़कियां आगे बढ़ रही हैं।