51 वर्षीय रीता जयरथ (Rita Jairath) भारत की पहली महिला हैं, जिसने देश में ही नहीं दुनियाभर में बाॅडीबिल्डिंग (Bodybuilding) के क्षेत्र में देश का नाम ऊंचा किया है। करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का श्रोत बनी रीता की कहानी जल्द ही वेब सीरीज के जरिए आपको देखने को मिलेगी। जी हां, टीसीरीज (T-Series) ने इनपर वेबसीरीज बनाने का बीड़ा उठाया है जिसमें उनके किरदार को निभानेवाली एक्ट्रेस के नाम पर चर्चा चल रही है।
इंग्लैंड से मधु चौरसिया की रिपोर्ट।
बाॅडी बिल्डर रीता जयरथ (Rita Jairath) वेबसीरीज को लेकर उत्साहित हैं। पहले उनकी कहानी पर फिल्म बनने वाली थी लेकिन प्रोड्यूसिंग टीम को लगा कि ढ़ाई से तीन घंटे की मूवी में उनके किरदार को पूरी तरह नहीं दिखाया जा सकता है, ऐसे में उनपर वेबसीरीज के जरिए ही बेहतर काम किया जा सकता है। दरअसल, रीता की जिंदगी है भी बड़ी दिलचस्प। उनकी जिंदगी पर उपन्यास भी लिखा जा रहा है।
पंजाब के लुधियाना (Punjab, Ludhiana) से ताल्लुक रखने वाले परिवार में रीता जयरथ (Rita Jairath) का जन्म हुआ। हालांकि जब रीता पैदा हुईं, उनके पिता उन दिनों भारतीय वायुसेना में दिल्ली में कार्यरत थे, लेकिन इससे पहले रीता की मां ने अपने दो बच्चे गर्भावस्था के दौरान खो दिए। जिसकी वजह से वो लगातार लंबे सदमे में रहीं। रीता से बड़ी एक बहन हैं लेकिन रीता की मां धीरे धीरे डिप्रेसन में चलीं गई, जहां वो खुद से बातें करती और स्वयं को कई बार किसी धारदार चीज से घायल कर लेतीं। उन दिनों मानसिक बीमारी के बारे में बहुत कम जागरुकता थी और उनके परिवार को पागल करार दिया गया था। परिणामस्वरूप उनका कभी कोई मित्र नहीं बना। उनका एकमात्र उद्देश्य पाट्यक्रम की गतिविधियां और स्कूल में उतकृष्ठ प्रदर्शन तक सीमित रह गया। सभी परिचितों ने उनके परिवार से नाता रिश्ता तोड़ लिया था। पिता का तबादला मद्रास में हो गया। जहां रीता ने अपना बचपन बिताया। लेकिन पिता जब भी परेशान होते अपना सारा गुस्सा रीता पर निकालते। बड़ी बहन को पिता नें पढ़ने के लिए हॉस्टल भेज दिया। रीता को आसपड़ोस वाले कुछ खाने को दे देते वो उसी में खुश हो जाती।
बाॅडी बिल्डर रीता जयरथ ( Bodybuilder Rita Jairath) बड़ी हुई उन्हें पढ़ने का बेहद शौक था, लेकिन घर की परिस्थितियों ने उन्हें हमेशा बेड़ियां ड़ालने का काम किया। रीता बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर अपना जेब खर्च निकालती। ऐसे में उनकी मुलाकात उनके जीवनसाथी से हुई जो मर्चेंट नेवी में कार्यरत थे। जो अक्सर काम के सिलसिले में बाहर ही रहते थे। शादी के कुछ साल बाद उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया जिसकी देखभाल उन्हें ठीक से नहीं करने दिया जाता था। कुछ साल बाद उन्हें पता चला कि उनकी एकलौती संतान अनीश आटिज्म के शिकार है, जिसके बाद उन्हें कई बार घरेलू प्रताड़ना सहनी पड़ी। वो अपने पति का घर छोड़ अपने पिता के पास रहने लगीं। उन्होंने डॉक्टरों से संपर्क किया लेकिन डॉक्टरों ने सलाह दी कि इस बच्चे पर समय और पैसे खर्च करना बेकार है ये कभी बोल नहीं सकता।
जब रीता पैदा हुईं, उनके पिता भारतीय वायुसेना में दिल्ली में कार्यरत थे, लेकिन इससे पहले रीता की मां ने अपने दो बच्चे गर्भावस्था के दौरान खो दिए। जिसकी वजह से वो लगातार लंबे सदमे में रहीं। रीता से बड़ी एक बहन हैं लेकिन रीता की मां धीरे धीरे डिप्रेसन में चलीं गई, जहां वो खुद से बातें करती और स्वयं को कई बार किसी धारदार चीज से घायल कर लेतीं।
रीता जयरथ (Rita Jairath) की जिंदगी का एकमात्र उद्देश्य अपने बेटे के लिए जीना था। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी बच्चे का नामांकन स्कूल में कराया और पाठ्यक्रम की पुस्तकें खरीद कर वो स्वयं उन्हें पढ़ाती। अनीश के स्कूल में वो स्वंयसेवक के तौर पर कार्य करती। 10वीं कक्षा में अनीश ने काफी अच्छे अंक हासिल किए जिसके बाद आसपास के लोगों ने रीता को तबज्जो देना शुरू किया। रीते को एक डॉक्टरों ने सलाह दी कि अनीश को कुछ शारिरिक प्रशिक्षण दिया जाए तो शायद वो ठीक हो सकता है। रीता ने उसे स्वीमिंग सीखाया जहां वो खुद भी सीखने लगीं। धीरे धीरे अन्य प्रशिक्षणों में भी रीता ने हिस्सा लिया और अच्छा प्रदर्शन किया उन्होने बॉडीबिल्डिंग का प्रशिक्षण लिया और कुछ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया जहां उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें राज्य फिर राष्ट्र और फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें प्रदर्शन करने का मौका मिला।
इस बीच उन्होंने अपने बेटे को कंप्यूटर की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया, वहां वो एक पुर्तगाली परिवार के साथ रहता था और वो हर महीने अपने बेटे से मिलने आती रहीं। एक बार जब बेटे की शिक्षा पूरी हो गई तब उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया रीता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधी प्राप्त की और उसके बाद ये सिससिला थमा नहीं उन्होंने संसुक्त राज्य अमेरिका से डॉक्टरेट की मानद उपाधी प्राप्त की।
अब तो बॉडीबिल्डिंग (Bodybuilding) के क्षेत्र में कई महिलाएं किस्मत आजमा रही हैं, लेकिन 80 के दशक महिलाओं के लिए बॉडीबिल्डिंग के क्षेत्र में प्रवेश और बिकनी अवतार आलोचनाओं का विषय बन गया था। उनके मसल्स पर लोग हंसी उड़ाते थे। लेकिन लगातार अलगाव में रहते हुए उन्होंने इस शोर को ज्यादा तबज्जो नहीं दी। आज रीता तीन बार राष्ट्रीय बॉडीलिफ्टिंग चैंपियन हैं, इंटरनेशनल फेडरेशन ओफ बॉडीबिल्डिंग के लिए एशिया से एकमात्र महिला प्रोलीग अंतरराष्ट्रीय बॉडीबिल्डिंग जज हैं।
रीता जयरथ (Rita Jairath) अब वो दिल्ली के प्रीतमपुरा में अपना फिटनेस सेंटर चलातीं हैं उनका बेटा अब करीब 30 साल का हो गया है और वो उनके कामों में हाथ बंटाता है। रीता समय समय पर विदेशों में जज के तौर पर अपनी अहम भुमिका निभा रही हैं। रीता की कहानी उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणाश्रोता जो कठिन परिस्थितियों में आसानी से हार मान लेती हैं। रीता के लिए हमेशा परिस्थितयां अनुकूल नहीं रहीं लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने कठिन परिश्रम के दम पर दुनिया को मुठ्टी में कर लिया।