Netflix रिलीज़ हुई फिल्म ‘बुलबुल’ अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) निर्मित ये फिल्म समाज की कई प्रथाओं से रु ब रु करती है। औरत को शादी के बाद बिछुए इसलिए पहनाए जाते हैं कि वो ‘उड़’ न सके. बुलबुल एक और गहरी बात सिखाती है, जिसे समझना सबसे ज़रूरी है कि औरत को सबसे पहले साथी औरत का सगा होना होगा.
इस फिल्म का क्लाइमेक्स उतना बेहतर तो नहीं था जितना आप ‘परी’ या NH10 का क्लाइमेक्स देख चुके हैं पर इसका अंत एक प्रतीकात्मक क्लाइमेक्स था जो ये जताना चाह रहा था कि दुर्गा को ही ख़ुद और समाज पर टूटी मुसीबतों के लिए चंडी या काली का रूप धरना पड़ेगा. कोई न्याय, कोई मसीहा तबतक नहीं हाज़िर होगा जबतक वो औरत ख़ुद न सक्षम हो सकेगी.
आप रातों को पेड़-पेड़ निकलकर, किसी की गर्दन काटकर ख़ुद को तसल्ली भर दे सकते हैं कि आपने न्याय कर दिया, असल में आप बदला ले रहे होते हैं. यही बदले की कहानी है बुलबुल, जो भले ही बार-बार देखी न जा सके पर एक बार समझी जानी बहुत ज़रूरी है.