अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उनके परिवार ने नौ पृष्ठ का बयान जारी किया है. परिवार का आरोप है कि उन्हें सबक सिखाने की धमकी दी जा रही है. एक-एक करके सबके चरित्र पर कीचड़ उछाला जा रहा है. एक्टर के परिवार ने 9 पेज की चिट्ठी जारी की है.
जलालपुरी के शेर से की गई है शुरूआत
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नौ पेज में लिखे गये पत्र की शुरुआत फिराक जलालपुरी के शेर से की गयी है. लिखा है कि ”तू इधर-उधर की ना बात कर ये बता कि काफिला क्यूं लुटा, मुझे रहजनों से गिला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है.” साथ ही पत्र में लिखा है कि तमाशा करनेवाले और देखनेवाले ये नहीं भूले कि वो भी इसी दुनिया के लोग हैं.
पत्र में बताया, ‘ पहली बेटी में जादू था. कोई आया और चुपके से उसे पारियों के देश ले गया. दूसरी राष्ट्रीय टीम के लिए क्रिकेट खेली. तीसरे ने कानून की पढ़ाई की तो चौथे ने फैशन डिजाइन में डिप्लोमा किया. पांचवा सुशांत था. ऐसा, जिसके लिए सारी माएं मन्नत मांगती हैं. पूरी उमर, सुशांत के परिवार ने ना कभी किसी से कुछ लिया, ना कभी किसी का अहित किया. मदद करें…अग्रेजों के वारिश हैं, एक अदना हिंदुस्तानी मरे, इन्हें क्यों परवाह हो?
सुशांत के परिवार को पहला झटका तब लगा, जब मां असमय चल बसी. अगले आठ-दस साल में वो हुआ, जो लोग सपनों में देखते हैं. लेकिन, अब जो हुआ है, वो दुश्मन के साथ भी ना हो.
सुशांत के परिवार को मिल रही धमकी
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सुशांत के परिवार को शोक मनाने का भी समय नहीं मिलता है. हत्यारों को ढूंढ़ने के बजाय रखवाले उसके मृत शरीर की फोटो प्रदर्शनी लगाने लगते हैं. उनकी लापरवाही से सुशांत मरा. इतने से मन नहीं भरा, तो उसके मानसिक बीमारी की कहानी चला उसके चरित्र को मारने में जुट जाते हैं.
‘सुशांत के परिवार, जिसमें चार बहनें और एक बूढ़ा बाप, सबको सबक सिखाने की धमकी दी जा रही है. एक एक कर सबके चरित्र पर कीचड़ उछाला जा रहा है. सुशांत से उनके संबधों पर सवाल उठाया जा रहा है. तमाशा करने वाले ये ना भूलें कि वो भी यही हैं. अगर यही आलम रहा तो क्या गारंटी है कि कल उनके साथ ऐसा ही नहीं होगा? हम देश को उधर लेकर क्यों जा रहे हैं जहां अपने को जागीरदार समझने वाले अपने गुर्गों से मेहनतकशों को मरवा देते हैं और सुरक्षा के नाम पर तनख्वाह लेने वाले खुलेआम बेशर्मी से उनके साथ लग लेते हैं?’